April 25, 2024
Narendramodi

एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत जिला अम्बाला को एनीमिया मुक्त  करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ अन्य विभाग भी मिलकर काम करें। उन्होनें कहा कि जब एक टीम भावना के साथ कार्य किया जाएगा तो उसकी सफलता भी कई गुणा बढ़ जाएगी। उन्होनें कहा कि एनीमिया से कई प्रकार की बीमारियों होती हैं और एनीमिया खासकर किशोरियों एवं महिलाओं में खून की कमी होने के कारण होता हैं। उन्होनें कहा कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने के लिए जागरूकता लानी बेहद जरूरी हैं।

इसके लिए लोगों को विभिन्न माध्यमों द्वारा जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषतौर पर ध्यान दिया जाए। महिला एवं बाल विकास तथा शिक्षा विभाग के अधिकारी लोगों को जागरूक करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें। अभियान के तहत कैम्पों का आयोजन किया जाए तथा जिनमें खून की कमी पाई जाए उन्हें दवाईयां तथा डाईट चार्ट के बारे में जानकारी दी जाए।

बैठक में स्वास्थ्य विभाग से आए अधिकारी ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत महिलाओं को आयरन, फोलिक एसिड, बी-काम्पलेक्स व विटामिन सी व पेट के कीड़े मारने की दवाई दी जा रही हैं। इसके साथ ही महिलाओं को डाईट के बारे में भी बताया जा रहा है। जिसमें की चना, गुड़, हरी पत्तेदार सब्जियां, दाले व विटामिन सी से भरे भरपुर फलों के बारे में बताया गया।

उन्होंने कहा कि हमारे शरीर में हिमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है जो शरीर में खून की मात्रा बताता है। पुरुषों में इसकी मात्रा 12 से 16 प्रतिशत तथा महिलाओं में 11 से 14 के बीच होना चाहिए। एनीमिया यानि शरीर में खून की कमी होने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। अगर समय रहते इस ओर ध्यान दिया जाए तो उन समस्याओं से बचा जा सकता हैं। महिलाएं और किशोरियांं जागरूकता के अभाव के कारण एनीमिया की शिकार होती हैं।

शरीर में खून की कमी। हमारे शरीर में हिमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है जो शरीर में खून की मात्रा बताता है। एनीमिया तब होता है, जब शरीर के रक्त में लाल कणों या कोशिकाओं के नष्ट होने की दर, उनके निर्माण की दर से अधिक होती है। किशोरावस्था और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में एनीमिया सबसे अधिक होता है। गर्भवती महिलाओं को बढ़ते शिशु के लिए भी रक्त निर्माण करना पड़ता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होने की संभावना अधिक रहती है। एनीमिया एक गंभीर बीमारी है। इसके कारण महिलाओं को अन्य बीमारियां होने की संभावना और बढ़ जाती है। एनीमिया से पीडि़त महिलाओं की प्रसव के दौरान मरने की संभावना सबसे अधिक होती है।

लक्षण:- त्वचा का सफेद दिखना, जीभ, नाखूनों एवं पलकों के अंदर सफेदी, कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट, चक्कर आना- विशेषकर लेटकर एवं बैठकर उठने में, बेहोश होना, सांस फूलना, हृदयगति का तेज होना, चेहरे एवं पैरों पर सूजन दिखाई देना।
कारण:-सबसे प्रमुख कारण लौह तत्व वाली चीजों का उचित मात्रा में सेवन न करना, मलेरिया के बाद जिससे लाल रक्त करण नष्ट हो जाते हैं। किसी भी कारण रक्त में कमी, जैसे- शरीर से खून निकलना (दुर्घटना, चोट, घाव आदि में अधिक खून बहना), शौच, उल्टी, खांसी के साथ खून का बहना, माहवारी में अधिक मात्रा में खून जाना, पेट के कीड़ों व परजीवियों के कारण खूनी दस्त लगना, पेट के अल्सर से खून जाना, बार-बार गर्भ धारण करना।

उपचार तथा रोकथाम:- अगर एनीमिया मलेरिया या परजीवी कीड़ों के कारण है, तो पहले उनका इलाज करें, लौह तत्वयुक्त चीजों का सेवन करें, विटामिन ए एवं सी युक्त खाद्य पदार्थ खाएं, गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी लड़कियों को नियमित रूप से 100 दिन तक लौह तत्व व फॉलिक एसिड की 1 गोली रोज रात को खाना खाने के बाद लेनी चाहिए। जल्दी-जल्दी गर्भधारण से बचना चाहिए। भोजन के बाद चाय के सेवन से बचें, क्योंकि चाय भोजन से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों को नष्ट करती है, काली चाय एवं कॉफी पीने से बचें, संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छ पेयजल ही इस्तेमाल करें, स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करें, खाना लोहे की कड़ाही में पकाएं।

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