May 5, 2024

दक्षिण रेंज के साइबर थाना एवं सभी थानों में स्थापित साइबर हेल्प डेस्क पर कार्यरत पुलिस कर्मचारियों के लिए शनिवार को जिला सचिवालय सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में साइबर एक्सपर्ट ने पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को साइबर फ्रॉड से संबंधित मामलों में जांच के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।

दक्षिण रेंज के आईजी एम.रवि किरण ने कहा कि साइबर फ्रॉड के मामले हमारे लिए अभी भी बड़ी चुनौती है, लेकिन अब इन मामलों में कार्रवाई होने से आमजन को उनका पैसा वापस मिलने लगा है।

उन्होंने कहा कि दक्षिण रेंज में एक साइबर थाना और 48 थानों में साइबर हेल्प डेस्क स्थापित की गई है। सरकार का इनको स्थापित करने का यही मकसद है कि इससे संबंधित मामलों की त्वरित जांच की जा सकेगी।

कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए रेवाडी के पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने कहा कि साइबर फ्रॉड के तरीकों में भी लगातार बदलाव होता जा रहा है। इसलिए इनकी जांच करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए इन मामलों में तकनीकी रूप से दक्ष होना सबसे जरूरी है।

इससे संबंधित जानकारी होने पर ही हम इन मामलों को तेजी से निपटाएंगे इसलिए सबसे पहले प्रयास यह होना चाहिए कि ट्रांजेक्शन की डिटेल्स लेकर बैंक के नोड़ल अधिकारियों से सांमजस्य स्थापित कर खाते को फ्रीज कराना सबसे जरूरी है।

उन्होंने कहा कि कार्यशाला के आयोजन का मकसद यही है कि बदले तौर-तरीकों के अनुसार उसी तरह जांच को आगे बढ़ाना है। ताकि पंजीकृत मामलों का निस्तारण करने के साथ खाते में गया पैसा वापस लाया जा सके।

इस अवसर पर साइबर एक्सपर्ट भव्य खन्ना ने कहा कि साइबर फ्रॉड के मामले में पहली जांच जिस यूपीआईडी से ट्रांजेक्शन हुई उसके बैंक अथवा वॉलेट का पता करके तुरंत प्रभाव से खाता फ्रीज कराना चाहिए।

तत्पश्चात जिस खाते में पैसा गया है उसकी भी तकनीकी माध्यम से जानकारी लेकर उस खाते को भी बैंक के साथ जानकारी शेयर करके ट्रांजेक्शन को अगले खाते में जाना से रोकना है। शुरूआत के दो स्टेप पर हम जितना जल्दी कार्रवाई करेंगे उतने पैसे वापसी के चांस बढ़ जाते हैं।

 

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