प्रसिद्ध ऐतिहासिक एवं धार्मिक कपाल मोचन मेला पूर्ण श्रद्धा, उल्लास और क्षेत्र की महिमा के अनुरूप शांतिपूर्ण ढंग से मुख्य स्नान सम्पन्न हो गया। इस बार मेले में लगभग 8 लाख 50 हजार श्रद्घालुओं ने तीनों सरोवरों में स्नान किया और सभी मंदिरों और गुरूद्वारों में पूजा अर्चना की एवं मत्था टेका। देश के अन्य भागों विशेषकर पंजाब से भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान के उपरांत अपने घरों को लौटना शुरू कर दिया है। हरियाणा प्रांत के पड़ोसी राज्य पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उतर प्रदेश व उतराखंड के अलावा अन्य आसपास के शहरों व स्थानीय श्रद्धालुओं ने मेले में आकर सरोवरों में स्नान करना व पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया है जो 8 नवम्बर की शाम तक जारी रहा।
मुख्य मेला प्रशासक एवं उपायुक्त राहुल हुड्डïा ने बताया कि इस पवित्र धाम पर स्थित कपाल मोचन सरोवर, ऋण मोचन सरोवर व सूरज कुण्ड में विभिन्न प्रांतों से आए अलग-अलग धर्मो एवं जातियों के श्रद्घालुओं ने 7 नवम्बर की रात्रि को 12 बजे के उपरांत शुरू हुई कार्तिक मास की पूर्णिमा के अवसर पर मुख्य स्नान आरम्भ किया। मेले में आए विभिन्न धर्मो के श्रद्घालु तीनों सरोवरों में स्नान करने के लिए एक दूसरे का पल्लू पकड़ रक्षा पंक्ति बनाकर एक सरोवर से दूसरे सरोवर की ओर बढ़ रहे थे। यह दृश्य बड़ा ही मनोहारी था, क्योंकि प्रत्येक श्रद्घालु ने प्रत्येक सरोवर पर स्नान कर व दीप जलाकर मन्नतें मांगी व पहले मांगी गई मन्नतों के पूर्ण होने पर पूजा-अर्चना की।
उपायुक्त ने बताया कि मंदिरों, गुरूद्वारों और पवित्र सरोवरों के घाटों पर प्रशासन द्वारा लगाए गए बल्ब व लडिय़ों ने रात्रि को प्रकाशमय बनाया हुआ था। श्रद्धा का आलम यह था कि लोग तीनों सरोवरों में स्नान कर रहे थे। श्रद्धालुओं ने तीनों सरोवरों के किनारों पर दीप दान किया। लोगों की श्रद्धा देखते ही बनती थी क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी हैसियत के हिसाब से सरोवरों के किनारे पर दीप दान कर रहा था। श्रद्घा, भक्ति और विश्वास का यहां अदभूत नजारा देखने को मिल रहा था। इनमें से बहुत से श्रद्धालु ऐसे भी थे जो किसी न किसी मन्नत के पूरा होने पर यहां आए थे क्योंकि श्री कपाल मोचन का मेला इस बात के लिए प्रसिद्ध है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है और मुराद पूरी होने पर श्रद्धालु इन सरोवरो में स्नान करते हंै।
मेला प्रशासक एवं एसडीएम बिलासपुर जसपाल सिंह गिल ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा श्री कपाल मोचन मेले के सूचारू संचालन के व्यापक प्रबंध किए गए और प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी दिन रात मेला में अपनी अपनी डयूटी पर तैनात रहे। मेले में इतनी भारी भीड़ के बावजूद भी कहीं भी किसी तरह की असुविधा सामने नहीं आई। प्रत्येक श्रद्धालु ने सभी सरोवरों और सभी मंदिरों में भली प्रकार स्नान और पूर्ण विधिविधान से पूजा की। श्री कपाल मोचन मेले में पंजाब से आए श्रद्वालूओं की संख्या सबसे ज्यादा रही। प्राचीन काल से ही देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों, सूफी-संतों व गुरूओं की धरती रहे कपाल मोचन तीर्थ राज की यात्रा करने में विभिन्न धर्मों एवं सम्प्रदायों के लोगों की एक विशेष आस्था है।
ऐसी मान्यता है कि कपाल मोचन सरोवर में स्नान करने से मनुष्य के जन्मों-जन्मों के पाप धुल जाते हैं। ऋण मोचन सरोवर में स्नान करने से मनुष्य सभी प्रकार के ऋणों से मुक्त हो जाता है और सूरज कुण्ड सरोवर में स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कपाल मोचन तीर्थ के तीनों प्रसिद्घ एवं धार्मिक सरोवर मानव जाति को अन्न, धन व वैभव देने वाले माने जाते हैं। कपाल मोचन के पवित्र सरोवरों में स्नान करने वाले लाखों श्रद्घालु ऐसे भी थे, जो पिछले कई वर्षो से लगातार यहां आ रहे हैं और उन्हें उनकी श्रद्घा का फल भी मिला है।
उपमंडलाधीश ने बताया कि तीर्थराज कपाल मोचन में गुरू श्री नानक देव जी भी आए थे और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जैसे ही रात्रि 12 बजे से गुरू पर्व शुरू हुआ तो मेला श्री कपाल मोचन में पधारे यात्रियों ने गुरूद्वारा श्री कपाल मोचन में माथा टेका व आतिशबाजी की और सभी श्रृद्धालुओं ने एक दूसरे को गुरू श्री नानक देव जी के जन्मदिवस की बधाई दी।