May 18, 2024
हरियाणा के कृषि एवं पशुपालन मंत्री जयप्रकाश दलाल ने कहा कि गौमाता में आई लंपी बीमारी को लेकर प्रदेश में स्थिति पूर्णतया नियंत्रण में है। हरियाणा प्रदेश में लगभग 19 लाख गौवंश में से 15 लाख 50 हजार गायों का वैक्सीनेशन पूरा किया जा चुका है। अब तक हरियाणा प्रदेश में 1900 गायों की मृत्यु हुई है। पशुपालन विभाग की टीम ने गांव-गांव, घर-घर जाकर वैक्सीनेशन का कार्य कर रही है तथा गौवंश को बचाया जा रहा है। यह बात उन्होंने भिवानी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही।
    कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने कहा कि दुर्भाग्य से लंपी बीमारी हरियाणा के अलावा गुजरात, राजस्थान, पंजाब राज्यों में फैली, जिससे हजारों गौमाता को अपने प्राण त्यागने पड़े। परन्तु हरियाणा राज्य में तत्परता दिखाते हुए समय बचाने के लिए बगैर टैंडर प्रक्रिया के वैक्सीनेशन प्रक्रिया के वैक्सीनेशन मंगवाकर उन्हे लगवाने का कार्य किया, जिसके चलते 15 लाख 50 हजार से अधिक गायों को अब तक वैक्सीनेशन लगाई जा चुकी है। वर्तमान में हरियाणा में 15 हजार के लगभग गाय इस बीमारी से पीडि़त है। जिनका ईलाज चल रहा है अब तक सिर्फ 1900 गायों की मृत्यु प्रदेश में हुई हैं।
उन्होंने कहा कि यह हरियाणा सरकार के पशुपालन विभाग की तत्परता के कारण ही संभव हो पाया है तथा हमारा गौवंश बच पाया है, जबकि साथ लगते राजस्थान राज्य में एक लाख के लगभग तथा पंजाब में 30 हजार के लगभग गायों की मृत्यु हुई है, जबकि हरियाणा प्रदेश में इस बीमारी पर लगभग नियंत्रण किया जा चुका है। अब सिर्फ जो पशुधन ढ़ाणियों, सडक़ों पर है, सिर्फ उन्ही की वैक्सीनेशन शेष है जिस पर तत्परता से कार्य किया जा रहा है।
     पशुपालन विभाग द्वारा लंपी बीमारी से निपटने के लिए छेड़े गए इस अभियान में सामाजिक संस्थाएं व गौसेवक भी आगे आ रहे है तथा आम लोगों के बीच जाकर लंपी बीमारी से निपटने व उसकी रोकथाम के बारे में जानकारी देने के साथ ही वैक्सीनेशन कार्य किया जा रहा है। भिवानी के पशु चिकित्सक डॉ. विजय सनसनवाल व गौसेवक जयसिंह ने बताया कि जो पशु चरना बंद कर दे या जिसे बुखार हो या जिसके शरीर पर गांठे हो, उन्हे अन्य पशुओं से अलग रखना चाहिए तथा फिटकरी या लाल दवाई से उन्हे नहलाना चाहिए।
10 से 15 दिन में पशु उपचार के बाद ठीक हो जाता है। लंपी बीमारी से पीडि़त गाय का दूध उबालकर पीना चाहिए तथा सोशल मीडिया पर आए किसी भी भ्रम में पड़े बगैर इन गायों की सेवा करनी चाहिए, क्योंकि यह बीमारी मनुष्यों में नहीं फैलती। उन्होंने कहा कि इस बीमारी का प्रभाव गायों में जरूर है, लेकिन भैंसों में इसके केस नग्ण्य है।

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