April 29, 2024
अंबाला (एससी) (अनुसूचित जाति आरक्षित) लोकसभा सीट को रिक्त हुए  पूरे 6 महीने हो गए है.  18 मई 2023 को इस  लोकसभा हलके से   मई, 2019 में   भाजपा‌ के टिकट पर   निर्वाचित  रतन लाल‌ कटारिया, जो जुलाई,2021 तक मौजूदा मोदी सरकार-2  में केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे थे, के निधन फलस्वारूप इस रिक्त हुई सीट पर आज तक उपचुनाव नहीं कराया गया है.
इसी बीच  पंजाब एवं   हाईकोर्ट में एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक  हेमंत कुमार  ने बताया कि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि गत 6 महीने से अंबाला संसदीय  सीट पर  उपचुनाव कराने या न कराने  बारे  भारतीय चुनाव आयोग बिलकुल मौन रहा है.  हालांकि पिछले  माह 3 अक्तूबर को‌ हरियाणा के  मुख्य चुनाव अधिकारी ( सीईओ) अनुराग अग्रवाल द्वारा एक   प्रेसवार्ता के दौरान यह कहा गया  कि रिक्त अंबाला अम्बाला लोकसभा सीट  उपचुनाव‌ नहीं होगा  और अगले वर्ष
अप्रैल-मई, 2024 में निर्धारित 18वीं  लोकसभा आम चुनावों‌ में ही इस सीट पर सामान्य  चुनाव  होगा.‌ परंतु ध्यान देने योग्य है कि इस संबंध में  भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ही औपचारिक और आधिकारिक  घोषणा की जा सकती  है, न कि प्रदेश के  सीईओ द्वारा.
सनद रहे कि  साढ़े 29 वर्ष पूर्व अप्रैल, 1994 में जब अम्बाला लो.स.  सीट से  तत्कालीन सांसद कांग्रेस के राम प्रकाश का निधन हुआ था, तब भी पूरे दो वर्षो पर उपचुनाव नहीं कराया गया था.  हालांकि तब कानून में सांसद के निधन के 6  महीने में उपचुनाव कराने का प्रावधान नहीं था जो वर्ष 1996 में डाला  गया था.
बहरहाल,  हेमंत  ने बीते 6 महीने में   भारतीय चुनाव आयोग  अर्थात मुख्य चुनाव आयुक्त‌ राजीव कुमार और 2 चुनाव आयुक्तों अनूप चंद्र पांडे और अरूण गोयल और  आयोग के वरिष्ठ पदाधिकारियों‌ को‌ ज्ञापन एवं  अभिवेदन और तदोपरांत  कानूनी नोटिस भेजकर  रिक्त  अंबाला संसदीय सीट पर शीघ्र   उपचुनाव कराने को लिखा हालांकि चुनाव आयोग से कोई  जवाब नहीं मिला  हालांकि एक आर.टी.आई. में जवाब दिया गया कि यह उपचुनाव का विषय विचाराधीन है.
निश्चित तौर पर गत 6 माह जब से अंबाला संसदीय सीट से निवर्तमान  भाजपा सांसद  कटारिया का निधन हुआ, तब से प्रदेश के  राजनीतिक गलियारों में  इस विषय पर कयास और चर्चाएं चलती  रही  कि क्या चुनाव आयोग अम्बाला लोस सीट पर उपचुनाव कराएगा  अथवा नहीं क्योंकि श अप्रैल-मई, 2024 में 18वीं  लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित हैं और इस कारण  आयोग संभवत:  अल्प  अवधि के लिए अम्बाला संसदीय सीट पर उपचुनाव नहीं कराना चाहेगा.
हेमंत ने यह भी  बताया कि वैसे तो कानूनन अर्थात लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 151 ए के अंतर्गत चुनाव आयोग द्वारा रिक्त  अम्बाला लोकसभा सीट पर 18 नवंबर 2023 तक  उपचुनाव करना अनिवार्य था चूँकि इस सीट से निवर्तमान  सांसद कटारिया के निधन के दिन उनकी एक वर्ष से ऊपर की अवधि शेष थी.
 बहरहाल, अगर चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से परामर्श कर ऐसा प्रमाणित भी कर दिया है कि  रिक्त अम्बाला  लोकसभा सीटों पर  उपचुनाव करवाना संभव नहीं, तो‌ इस बारे में भी आयोग को सार्वजनिक प्रगटीकरण‌ करना‌ चाहिए   कि ऐसी कौन सी  प्रशासनिक अथवा संभवतः तकनीकी   परिस्थितियां‌ हैं, जिनके फलस्वरूप कानूनन निर्धारित 6 माह की अवधि में उपचुनाव कराना संभव नहीं हो पाया.
 हेमंत ने यह भी बताया‌ कि आज से 5 वर्ष  पूर्व अक्तूबर-नवंबर  2018 में  आयोग द्वारा कर्नाटक राज्य में तत्कालीन तीन रिक्त  लोकसभा  सीटों – बेलारी, शिमोगा और मांड्या  पर उपचुनाव कराया गया  था. हालांकि उसके  6 महीने बाद ही अप्रैल- मई 2019 में 17 वीं‌ लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित थे. इस प्रकार चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव के विषय पर दोहरे मापदंड अपनाये जा रहे हैं.

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