धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर और आसपास के क्षेत्र को देखकर ऐसा लग रहा है मानों भारतवर्ष की संस्कृति व शिल्पकला एक लघु भारत के रूप में ब्रह्मसरोवर पर उमड़ आई हो। गीता महोत्सव में अनेक राज्यों से आए कलाकार अपनी हस्तकला के माध्यम से अपनी कला का हुनर दिखा रहे हैं। शिल्पकारों की कला गीता महोत्सव को आकर्षण का केन्द्र बिन्दु बने हुए है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के कारण ही धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र को शिल्प और लोक कला केंद्र के रूप में एक अनोखी पहचान मिल रही है। इस गीता स्थली कुरुक्षेत्र की गोद में देश की लगभग सभी राज्यों की लोक कला और संस्कृति समा गई है। इस लोक कला और संस्कृति को देखने के लिए हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक कुरुक्षेत्र पहुंच रहे है। इस वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के मंच पर देश के विभिन्न राज्यों से शिल्पकार पहुंचे है और देश के विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपने-अपने प्रदेश की संस्कृति की छटा बिखेर रहे थे। इस धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र को शिल्प और लोक कला केंद्र के रूप में पहचान दिलाने का सारा श्रेय केंद्र और राज्य सरकार को जाता है। मेले को लगे हुए अभी 5वां दिन ही हुआ है। लगातार दर्शकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पर्यटकों को ब्रह्मसरोवर के घाटों पर उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, असम, त्रिपुरा, लद्दाख, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां दी जा रही है।
गीता महोत्सव के दौरान ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर सजी सदरियों में विभिन्न प्रदेशों के तरह-तरह के लजीज व्यंजन पर्यटकों खुब को लुभा रही है। इन व्यंजनों में राजस्थान की कचोरी, पंजाब की लस्सी, बिहार का लिटी चोखा, कश्मीर का काहवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद पर्यटक खुश होकर चख रहे है। इसके साथ-साथ पर्यटक विभिन्न प्रदेशों की शिल्पकला से सजे स्टॉलों पर भी जमकर खरीदारी कर रहे है और शिल्पकारों की शिल्पकला की भी जमकर प्रशंसा कर रहे है। उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि सरकार और प्रशासन की तरफ से कलाकारों व शिल्पकारों के लिए तमाम व्यवस्था की गई है, प्रशासन का प्रयास है कि महोत्सव में आए प्रत्येक पर्यटक, शिल्पकार, कलाकार और आमजन को तमाम सुविधाएं मिल सके।