माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, मत्सय पालन, पशुपालन और डेयरी हरियाणा सरकार श्री श्याम सिंह राणा ने महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के प्रथम स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कही। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी पानीपत में आयोजित कार्यक्रम में करीब 65 एकड़ में करीब 400 करोड़ रुपए की लागत बनने वाले एमएचयू के मैन कैंपस का शिलान्यास करेंगे। जो करनाल के लिए एक बड़ी सौगात हैं।
माननीय कृषिमंत्री श्री श्याम सिंह राणा ने महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के कुलपति डॉ. सुरेश मल्होत्रा को एमएचयू के प्रथम स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कृषि में बागवानी के महत्व को भलीभांति जानते हैं। यही वजह है कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने हरियाणा को देश की सातवीं बागवानी यूनिवर्सिटी उपहार स्वरूप दी हैं, जो किसानों के लिए वरदान साबित होंगी।
क्योंकि गेहूं ओर धान की परपरांगत खेती करने से किसानों को मुनाफा नहीं हो रहा हैं साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का अत्याधिक दोहन हो रहा हैं। जिसके चलते देश प्रदेश में पानी की गंभीर समस्या दिखाई देने लगी हैं। इसके अलावा गेहूं ओर धान की खेती से मानव गंभीर बीमारियों की चपेट में आने लगा हैं। इसके देखते हुए दुर दृष्टि वेता माननीय प्रधानमंत्री जी मोटे अनाजों की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहे है ताकि लोग मोटे अनाजों से बने खाद्यान्नों का प्रयोग करें।
कृषिमंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि हिंदुस्तान कृषि प्रधान देश हैं ओर दुनिया में सबसे ज्यादा उपजाऊ भूमि हैं ओर कृषि के लिए सबसे उपयुक्त मौसम भी। कृषिमंत्री ने उपस्थितनजों को देसी भाषा देश में खाद्यान्नों की समस्या से अवगत कराया। पहले लोग मोटे अनाज की रोटी खाते थे ओर बीमारियां न के बराबर थी, लेकिन आज गेहूं ओर चावल प्रमुखता के साथ खाते हैं ओर गंभीर बीमारियों की चपेट में लगातार आ रहे है। उन्होंने बेरोजगारी की समस्या पर बोलते हुए कहा कि देश में कृषि क्षेत्र ही एक ऐसा क्षेत्र हैं, जो देश में बेरोजगारी की समस्या को जड़ से मिटा सकता है। ये तब होगा, जब हम लोग खेती को सबसे पहले रखेंगे, आज खेती पिछड़ने का कारण यही है कि हम खेती को प्रथम नहीं रखते। उन्होंने कहा कि देश खासकर हरियाणा राज्य में खेती का बहुत स्कोप हैं।
कृषिमंत्री ने कहा कि गेहूं सबसे ज्यादा नुकसान देती हैं जबकि मोटे अनाज सबसे ज्यादा फायदा होता है। उन्होंने कहा कि बागवानी विश्वविद्यालय का नाम वीर शिरोणमि महाराणा प्रताप कैसे पड़ा, इस बारे में कृषिमंत्री ने कहा कि यूनिवर्सिटी का नाम की प्रपोजल स्वयं उन्होंने दी थी। जिस पर बागवानी विश्वविद्यालय का नाम वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप रखा गया। क्योंकि महाराणा प्रताप प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे, उनका नाम देश में ही नहीं बल्कि विश्वभर में बड़े आदर के साथ लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि एमएचयू के कुलपति डॉ सुरेश मल्होत्रा बहुत तेजी से महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय को आगे ले जा रहे है। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में एमएचयू देश ही नहीं पूरे विश्व में मॉडल यूनिवर्सिटी बनकर उभरे। इसके लिए हर संभव सहायता हरियाणा सरकार एमएचयू को प्रदान करेंगे।