May 16, 2024

मनुष्य के अच्छे कर्म ही श्रेष्ठ बनाते हैं क्योंकि वेदों से लेकर उपनिषद, कुरान व गीता में जन्म आधारित वर्ण का उल्लेख नहीं है। महान संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास के अनुसार अच्छे कर्म द्वारा ही मनुष्य महान बनाता है। संत रविदास ने पूरे समाज को एकता के सूत्र में पिरोकर सामाजिक समरसता लाने का अहम कार्य किया।

यह विचार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने गुरुवार को केयू सीनेट हॉल में डॉ. बीआर अंबेडकर अध्ययन केंद्र द्वारा संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी के प्रकटोत्सव पर ’सामाजिक पुनर्जागरण में संत रविदास जी के विचारों की प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित एकदिवसीय व्याख्यान कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए।

इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर अनिल राय, मुख्य वक्ता डॉ. केडी शर्मा, निदेशक प्रोफेसर गोपाल प्रसाद व सह-निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया गया।

कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि मध्यकालीन युग में समाज में व्याप्त विभिन्न विषमताओं, सामाजिक कुरीतियों, जाति-पाति, ऊंच-नीच के भेदभाव को एक निर्धन परिवार में जन्मे महान संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास ने समाप्त करने का कार्य किया। कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने शोधार्थियों को संत रविदास के जीवन काल खंड को निर्धारित करने की दिशा में शोध करने का आह्वान भी किया।

उन्होंने कहा कि केयू ने देशभर में सबसे पहले एनईपी 2020 को केयू कैम्पस के यूजी एवं संबंधित महाविद्यालयों में सभी प्रावधानों के साथ लागू किया है। इसके साथ ही उन्होंने युवा पीढ़ी से संत रविदास की शिक्षाओं एवं सन्मार्ग को जीवन में धारण करने पर भी जोर दिया।

जीजीडीएसडी कॉलेज पलवल के डॉ. केसी शर्मा ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि भारतीय जीवन में संतों ने समाज को जोड़ने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि संत रविदास का मानव कर्म के प्रति दृढ़ विश्वास था। इसलिए मनुष्य को संतों के मूल्य आधारित जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संतों की वाणियों से ही मनुष्य में नव उर्जा का संचार होता है जो सामाजिक, आध्यात्मिक पुनर्जागरण का कार्य करती है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. अनिल राय ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि संत रविदास सामाजिक समरसता के कवि हैं तथा मीराबाई ने भी उन्हें अपना गुरु माना है। संत रविदास ने मध्यकालीन युग में सामाजिक समरसता की पृष्ठभूमि को तैयार किया था।

उन्होंने कहा कि संत रविदास के अनुसार कोई जाति जन्मना नहीं होती तथा कर्म के आधार पर वर्ण निश्चित है।

डॉ. बीआर अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद ने सभी अतिथियों स्वागत करते हुए केन्द्र की उपलब्धियों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि केन्द्र द्वारा विगत 4 वर्षों में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनार, 24 विस्तार व्याख्यान, 7 पुस्तकों को पब्लिश करने सहित विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।

केन्द्र में वेब डिजाइनिंग, टेली व बेसिक कम्प्यूटर कोर्स भी संचालित किए जा रहे हैं। केन्द्र के सह-निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा मंच का संचालन संगीता धीर ने किया। कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

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