June 25, 2025
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हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि संविधान हत्या दिवस हमें याद दिलाता है कि सत्ता का अहंकार और परिवारवाद लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। संविधान देश का सर्वोच्च कानून है, और इसका पालन व रक्षा करना हम सबका परम कर्तव्य है। संविधान के खिलाफ या उसके मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाले कृत्यों को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी स्थानीय कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में संविधान हत्या दिवस पर आयोजित प्रेस वात्र्ता को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे आज उन सभी वीरों को नमन करते है, जिन्होंने उस समय तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाई, जेल गए, यातनाएं सहीं, लेकिन झुके नहीं।

आपातकाल में लोगों को जेलों में डाला गया और दी गई अनेक यातनाएं

नायब सिंह सैनी ने कहा कि देश आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर ‘संविधान हत्या दिवस‘ मना रहा है। 50 वर्ष पहले 25 जून, 1975 को हमारी लोकतांत्रिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर आपातकाल लागू कर संविधान की आत्मा की हत्या कर दी गई थी। इसके लिए आंतरिक संकट का हवाला दिया गया, जो दरअसल सत्ता में बने रहने की निजी महत्वाकांक्षा थी। उसके 21 मास बाद तक पूरा देश तानाशाही के चंगुल में रहा। एक मजबूत लोकतंत्र की कल्पना करने वाले लोगों को अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए जेलों में डाल गया और अनेक यातनाएं दी गई। आज संविधान हत्या दिवस मनाने का उद्देश्य देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बारे में आमजन, विशेषकर नई पीढ़ी को निरंतर सजग बनाये रखना है।

हरियाणा के लोग भी इस संघर्ष में पीछे नहीं रहे

उन्होंने कहा कि आपातकाल केवल संवैधानिक संकट नहीं था, वह लोकतंत्र की उस प्रक्रिया पर हमला था, जो अभिव्यक्ति की आजादी, समानता और न्याय का अधिकार देती है। वह हमला था, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उस विचार पर, जिसमें उन्होंने ‘एक राष्ट्र-एक विधान‘ का नारा दिया और उसके लिए खुद को बलिदान कर दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के लोग भी इस संघर्ष में पीछे नहीं रहे। अनेक लोगों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया था।

कुछ लोग सविधान की किताब को हाथ में लेकर संविधान बचाने का कर रहे पाखंड

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग संविधान की किताब लेकर जगह-जगह घूम रहे हैं और संविधान बचाओ का पाखंड कर रहे हैं। वे ही लोग बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के लिखे संविधान को खतरे में बता रहे हैं। एक समय था, जब उन्हीं की पार्टी ने रात के अंधेरे में सरेआम संविधान की हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के राजनैतिक पूर्वजों ने देश पर तानाशाही थोपी, प्रेस का गला घोंटा, नेताओं को जेलों में डाला, जबरन नसबंदी का कहर भरपाया, वे आज किस मुंह से संविधान और लोकतंत्र के रक्षक होने की दुहाई दे रहे हैं। उन्हें लोकतंत्र पर भाषण झाडऩे से पहले लोकतंत्र की हत्या के पाप को स्वीकार करना चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए।

उनका ‘संविधान बचाओ‘ का नारा केवल राजनैतिक अवसरवादिता और सत्ता की भूख का प्रतीक

नायब सिंह सैनी ने कहा कि उनका ‘संविधान बचाओ‘ का नारा केवल राजनैतिक अवसरवादिता और सत्ता की भूख का प्रतीक है। जबकि वर्तमान सरकार प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में संविधान को सर्वोपरि मानकर ‘सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास‘ की लोकतांत्रिक भावना पर चल रही है। हमारी सरकार का हर कदम संविधान को मजबूत करने वाला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा है कि हम अपने लोकतांत्रिक आदर्शों और संविधान को सर्वोपरि मानते हैं।

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