November 24, 2024

लोक सांस्कृतिक दृष्टि से रत्नावली समारोह हरियाणा एवं भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में विख्यात है। रत्नावली 2024 की शुरुआत सांस्कृतिक दृष्टि से पानीपत से पहुंची कलाकारा हिति बतरा के वेल्कम टू हरियाणा गीत से हुई।

उन्होंने इस गीत के माध्यम से जहां एक ओर हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत एवं परम्पराओं को प्रस्तुत किया वहीं पर दूसरी ओर हरियाणा की विशेषताओं को उजागर कर सबका मन मोह लिया। हिति बतरा बाल कलाकारा के रूप में पहले भी रत्नावली के मंच पर नृत्य प्रस्तुत कर चुकी है। सांस्कृतिक दृष्टि से हरियाणा की गायन शैलियों के विशेषज्ञ एवं मिरासी परम्परा का निर्वहन करने वाले राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित गायक कलाकार एवं विशिष्ट अतिथि प्रेम देहाती ने फेर बुडापा होये होये, फेर बुढ़ापा बैरी आवेगा, चार दिन की चमक चाँदनी, कर ले जो करना….. गीत गाकर सबका खूब मनोरंजन किया।

इस अवसर पर एसडी कॉलेज पानीपत की टीम ने लूर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। उल्लेखनीय है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा सन् 2023 में लूर नृत्य को पुनर्जीवित कर युवा उत्सवों में शामिल किया है। इससे पूर्व लगभग 50 वर्ष पहले यह नृत्य हरियाणा से लुप्त हो चला था। फागण के महिने में खेला जाने वाला यह नृत्य हरियाणा के बांगर क्षेत्र में खेला जाता था। इस नृत्य में नृत्य एवं अभिनय दोनों का समागम देखने को मिलता है।

उधर केयू ऑडिटोरियम परिसर में ढोल-नगाड़ों के  साथ छात्र-छात्राओं ने नाच-नाचकर मस्ती का ऐसा आलम प्रस्तुत किया कि सब मंत्रमुग्ध हो उठे। सपेरा पार्टी ने बीन की स्वर लहरियों से सभी मेहमानों का स्वागत कर बीन-बांसली का लोक सांस्कृतिक स्वरूप प्रस्तुत किया। हिसार से विशेष रूप से रत्नावली में पहुंचा कमलेश एवं पपोसा गांव के दल की महिलाओं ने सभी मेहमानों का हरियाणवी गीत गाकर स्वागत किया।

हस्तशिल्प मेले के उद्घाटन अवसर पर भी हरियाणवी महिलाओं ने लोक-पारम्परिक नृत्यों को प्रस्तुत कर हरियाणवी संस्कृति की विविध छटाओं के स्वरूप प्रस्तुत किए। जींद से पहुंची बीन-बांसली की पार्टी ने गजे सिंह की परम्परा को निभाते हुए बीन और बांसली की स्वर लहरियों के माध्यम से हरियाणवी संस्कृति के विविध स्वरूप प्रस्तुत किए। उधर केयू के पर्यटन विभाग एवं गृह विज्ञान विभाग द्वारा हरियाणवी व्यंजन के स्टॉल लगाए गए जिसमें मिलेट्स एवं हरियाणवी चूरमा खाकर मुख्य मेहमनों ने चखा स्वाद

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