आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह के अग्निवीरों को प्रदेश के भर्तियों में आरक्षण देने के मुद्दे पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अगर अग्निवीर योजना इतनी अच्छी है तो बीजेपी अपने सब नेताओं पर लागू क्यों नहीं कर देती।
अग्निवीर योजना नेताओं पर लागू होता तो मोदी जी भी 4 साल में रिटायर हो गए होते। देश को इतनी परेशानियां नहीं झेलनी पड़ती। अमित शाह भी चार साल में रिटायर हो जाते। खट्टर साहब जिनका साढ़े नो साल के बाद भारतीय जनता पार्टी को यह अक्ल आई वह भी चार साल में रिटायर हो जाते।
उन्होंने कहा कि अग्निवीर योजना अगर इतनी अच्छी योजना है तो फिर सारे नेताओं को अपने बच्चों को सेना में भेजना चाहिए। अग्निवीर योजना के अंदर चार साल के लिए है नेताओं के बच्चे भी वह संघर्ष करें जो गरीब का बच्चा करता है।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह सारे के सारे प्रयोग गरीबों व किसानों के बच्चों पर करने के लिए है। अग्निवीर योजना देश के युवाओं को बर्बाद कर रही है उनके जीवन को बर्बाद करने के लिए है।
उन्होंने कहा कि अग्निवीर योजना शुरू होने के बाद से युवाओं की सेना में रुचि कम हो गई है।सरकार को देखना चाहिए की एक-एक गांव में बच्चे तैयारी करते थे फौज में भर्ती होने के लिए। आज वह गांव की सड़क वीरान पड़ी है सूनी पड़ी है। कोई युवा फौज में जाने के लिए तैयारी नहीं कर रहा।
उन्होंने कहा कि इस योजना से देश की फोर्स को कमजोर करने के लिए भारतीय जनता पार्टी के द्वारा युवाओं को प्रताड़ित करने के लिए, और युवाओं को बेरोजगार रखने के लिए एक षड़यंत्र पूर्वक तरीके से यह योजना लागू की गई है। इस पूरी की पूरी योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए, और फौज में रेगुलर भर्ती शुरू की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा जब से अग्निवीर योजना आई है तब से बच्चों ने फौजी की तैयारी करना तो छोड़ दिया है और डंकी के रास्ते विदेश जा रहे हैं। गैरकानूनी तरीके से अवैध तरीके से हमारे जिन बच्चों को पाल पोस के मां-बाप ने इतनी मेहनत से बड़ा किया जो हरियाणा का देश का भविष्य हो सकते थे वह सारा का सारा युवा आज विदेश में जा रहा है।
अग्निवीर योजना से हरियाणा का और देश का युवा बर्बाद हो रहा है। मुख्यमंत्री जी को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि उनके अपने परिवार में उनके रिश्तेदारियों में कितने बच्चे हैं जो अग्नि वीर योजना के तहत फौज में भर्ती हुए हैं। कितने बच्चे ऐसे हैं जो बिना पेंशन के नौकरी करने को तैयार है, कितने बच्चे ऐसे हैं जो चार साल की नौकरी के बाद रिटायर होने को तैयार है।