November 22, 2024
supremecourt

सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। मंगलवार यानी 17 अक्टूबर को 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव नहीं कर सकता।

कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी।

जस्टिस हिमा कोहली को छोड़कर फैसला चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा ने बारी-बारी से फैसला सुनाया।

CJI ने सबसे पहले कहा कि इस मामले में 4 जजमेंट हैं। एक जजमेंट मेरी तरफ से है, एक जस्टिस कौल, एक जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा की तरफ से है।

इसमें से एक डिग्री सहमति की है और एक डिग्री असहमति की है कि हमें किस हद तक जाना होगा।

दरअसल, सेम सेक्स मैरिज का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं ने इसे स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड करने की मांग की थी। वहीं, केंद्र सरकार ने इसे भारतीय समाज के खिलाफ बताया था।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 21 पिटीशंस में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली IPC की धारा 377 के एक पार्ट को रद्द कर दिया था।

शीर्ष कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाए, जो सेम सेक्स मैरिज से जुड़े तमाम पहलुओं की जांच करे।

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