कैदियों को एक अनुशासनप्रिय नागरिक बनाने के लिए केंद्रीय जेल अंबाला में आज जेलों को स्कूल में बदलना (ट्रांसफार्मिंग जेल इनटू स्कूल)- एक कदम जीवन की ओर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। हरियाणा के जेल महानिदेशक मोहम्मद अकिल, आईपीएस के निर्देश अनुसार शुरू किए गए इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ0 विनीत भार्गव, सीईओ, पब्लिक हेल्थ एम्पावरमेंट एंड रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (फेरो), नई दिल्ली ने कहा कि यह कार्यक्रम कैदियों को एक शांतिप्रिय नागरिक बनाकर समाज में वापिस जाकर पुनस्र्थापित करने में काफी मददगार साबित होगा।
डॉ. भार्गव ने बंदियों को इस कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि दुख इंसान में चेतना पैदा करने का एक अवसर है और इस कार्यक्रम का उद्देश्य कैदियों में कैसे इस दु:ख को अपने चेतना को जगाने के एक अवसर के रूप में बदला जाए ताकि उनमें जीवन की एक नई संभावना एवं सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाया जा सके।
डॉ0 भार्गव ने कहा कि यह कार्यक्रम बंदियों में उनके रूचि के मुताबिक जेल में पहले से चल रहे कार्यक्रमों से उन्हें जोडऩा भी है। ताकि जेल में वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय सकारात्मक कार्यों में लगा सकें। यह कार्यक्रम बंदियों के अंदर पैदा हुए तनाव, कुंठा, निराशा, नशा, आत्महत्या, मारपीट आदि घटनाओं को कम करने में उपयोगी साबित होगा।
उन्होंने कहा कि कैदियों द्वारा अपनी सजा अवधि को शांति से व्यतीत करने तथा समय के सदुपयोग के लिए ये आवश्यक है कि बंदियों को जेलों में एक सुव्यवस्थित व सुनियोजित दिनचर्या हो और इस कार्यक्रम में इसी तरह की दिनचर्या भी मौजूद है।
डॉ0 विनीत भार्गव ने कहा कि यह कार्यक्रम बंदियों को एक अनुशासनप्रिय नागरिक बनाकर समाज में वापस जाकर पुनस्र्थापित करने में काफी मददगार साबित होगा। यह कार्यक्रम अपने आप में इसलिए भी विशेष है की इस कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा बंदियों को केंद्रित करते हुए बनाई गई है। बंदी एक समयबद्ध दैनिक प्रक्रिया का पालन करते हुए अपनी दिनचर्या को पूरा करेंगे यही इस कार्यक्रम की विशेषता भी है।
उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम एक साल पहले शुरू किए जाना था, लेकिन कोविड के कारण यह कार्यक्रम एक साल बाद आज अंबाला में विधिवत रूप से शुरु कर दिया गया है। यह कार्यक्रम फरीदाबाद और गुरुग्राम जेल में पहले से चल रहा है।