हरियाणा सरकार ने खेल कोटे में आरक्षण नीति में बदलाव करने से अब विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए हैं। सरकार के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है और दलील दी जा रही है कि इससे खिलाड़ियों का मनोबल टूटेगा।
दुनिया भर में हरियाणा के खिलाड़ियों ने भारत का नाम रोशन किया है और अब ग्रुप ए, बी और सी की नौकरियों में आरक्षण खत्म करना खिलाड़ियों के साथ ज्यादती है।
सरकार के इस फैसले का रोहतक की एमडी यूनिवर्सिटी में छात्रों ने भी विरोध किया। छात्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार की खेल नीति की वजह से ही पूरे भारत में हरियाणा खेलों में नंबर-वन है और अब इस नीति में बदलाव करना खिलाड़ियों के मनोबल को तोड़ना है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ने अगर जल्द अपने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो प्रदेश भर में इसके खिलाफ बड़े स्तर पर संघर्ष किया जाएगा। ओलंपिक, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ और नेशनल स्तर पर खेलों में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को हरियाणा सरकार की तरफ से प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी की नौकरियां दी जाती थी, पर अब खेलों के आरक्षण को खत्म करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ चतुर्थ श्रेणी के लिए आरक्षण सरकार ने लागू रखा है, उनकी मांग है कि खेल नीति को दोबारा बहाल किया जाए, वरना देश भर में सबसे अव्वल हरियाणा खेलों के मामले में पिछड़ जाएगा। सरकार के इस फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति और राज्यपाल को ज्ञापन भी भेजा जाएगा।