कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा है कि मानवता के कल्याण के लिए रक्तदान करना बडे़ पुण्य का कार्य है। एक यूनिट रक्तदान करने से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है तथा रक्तदान करने से शरीर में किसी भी प्रकार की कोई कमजोरी नहीं होती।
वे शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र व दिव्य कुरुक्षेत्र मिशन के संयुक्त तत्वावधान में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 134वीं जयंती के उपलक्ष्य में क्रश हॉल में आयोजित एकदिवसीय रक्तदान शिविर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ ने कहा कि मनुष्य को मानवता के कल्याण हेतु सामाजिक दायित्व का निवर्हन करते हुए रक्तदान अवश्य करना चाहिए ताकि किसी जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचाई जा सकें।
कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ ने कहा कि रक्तदान करने से स्वास्थ्य सही रहता होता है तथा इससे दिल की बीमारियों व स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है। खून में आयरन की ज्यादा मात्रा दिल के दौरे के खतरे को बढ़ा सकती है तथा नियमित रूप से रक्तदान करने से आयरन की अतिरिक्त मात्रा नियंत्रित हो जाती है जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
उन्होंने कहा कि कईं बार जरूरतमंद व्यक्ति के शरीर में खून की मात्रा इतनी कम हो जाती है कि तत्काल रक्त की आवश्यकता होती है ऐसी स्थिति में रक्तदान के लिए लोगों को आगे आकर अपनी सामाजिक एवं नैतिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए। रक्तदान शिविर में केयू शिक्षक डॉ. रमेश कैत, डॉ. अजय जांगड़ा, विभाग प्रचारक संजय, एनसीसी कैडेट्स सहित कईं लोगों व विद्यार्थियों ने रक्तदान किया। रक्तदान के दौरान एलएनजेपी हस्पताल के डॉक्टर्स व उनकी टीम ने विशेष भूमिका निभाई।
इस मौके पर वात्सल्य वाटिका के संस्थापक हरिओम दास परिव्राजक बतौर मुख्यातिथि, डॉ. मुकेश अग्रवाल महासचिव इंडियन रेडक्रास सोसाइटी, हरियाणा स्टेट ब्रांच चंडीगढ़ मुख्यातिथि, विनोद कौशिक जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी कुरुक्षेत्र बतौर विशिष्ट अतिथि, कुवि कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद, सह-निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह, डॉ. वीरेन्द्र पाल, डॉ. आनन्द कुमार, डॉ. सुरेश कुमार, प्रो. महासिंह पूनिया, डॉ. नीरज बातिश व डॉ. संगीता उपस्थित रहे। इस शिविर में उपासना, रविकांत, अंकित, प्रदीप, अमित, जतिन, विक्रम, पवन, रवि, बंटी, अर्पित, खुशी राम ने विशेष योगदान दिया।