हरियाणा के पानीपत आए केंद्रीय नागरिक उड्डयन व स्टील मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इस जगह से उनका भावनात्मक संबंध है।
क्योंकि केवल उनके पूर्वज ही नहीं, बल्कि 60 हजार से अधिक मराठा विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ चट्टान की तरह खड़े रहे और प्राण जाए पर वचन न जाए, इस विचार से उन्होंने अपने प्राण की आहुति दी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, शिवाजी महाराज ने 12 वर्ष की उम्र में प्रण लिया था न रुकने न झुकने का। जब तक एक एक विदेशी आक्रांताओं को देश से निकाल न फेंकेंगे।
उन्होंने कहा की सिंधियाओं ने धार्मिक स्थलों की दोबारा स्थापना करने का काम किया।
गुजरात के सोमनाथ मंदिर के द्वार विदेशी आक्रांता इल्तुमिश लाहौर ले गए तो लाहौर से दरवाजे को वापस लाने का काम महादजी महाराज ने किया।
महादजी के वंशज बैजाबाई महारानी अहिल्या बाई होलकर जी ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को पुनर्स्थापना करने का कार्य किया।
भारत की संस्कृति को उजागर करने का काम मराठाओं ने किया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया पानीपत में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले कार्यक्रम पानीपत शौर्य दिवस में शामिल होने पहुंचे।
यहां सर्वप्रथम उन्होंने शौर्य स्मारक तीर्थ धाम काला आंब में सिंधिया व मराठा योद्धाओं को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
केंद्रीय मंत्री ने अपने अभिभाषण की शुरुआत में पानीपत के लोगों को अपना परिवार बताया।