हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के दीपावली को लेकर दिए गए बयान पर बवाल शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) नेताओं ने उनके बयान को लेकर सवाल उठाए हैं।
हरियाणा में AAP पार्टी के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता ने कहा है कि विज साहब, धर्म लोगों का स्वैच्छिक विषय है।
यह बताने का, सिखाने का आपको कोई हक नहीं है कि लोग त्योहार कैसे मनाएं। जब सब लोग सकारात्मक होकर दीवाली जैसे महान पर्व पर सुख-समृद्धि-शांति हेतु माता लक्ष्मी जी की पूजा कर रहे हैं और माता सीता तो माता महालक्ष्मी जी का ही अवतार है।
गुप्ता ने विज पर हमला करते हुए कहा कि हिंदू धर्म की तथाकथित ठेकेदार भाजपा के मंत्री दीपावली जैसे पावन पर्व को लेकर लोगों में संदेह पैदा करके माता लक्ष्मी जी का अपमान कर रहे हैं।
राम के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने वाली भाजपा धर्म के नाम पर लोगों में शंका पैदा करके किसी भी हद तक ग़लत कर सकती है।
भगवान राम के आदर्शों का तो पूरे विश्व भर में बोलबाला है और आपने तो स्वास्थ्य मंत्रालय को पंगु बनाते हुए हरियाणा की जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है असली राम की अवहेलना तो आप ही कर रहे हो।
हरियाणा में आप की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा ने विज के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यही सवाल कोई दूसरा करता तो हिंदू विरोधी कहलाता।
गृह मंत्री के बयान के इस अटपटे बयान से हरियाणा की जनता में बेहद गुस्सा है। मेरी अनेकों लोगों से बात हुई है सबका कहना है अनिल विज़ ने हमारे भगवानों के बारे में गलत टिप्पणी की है।
चित्रा सरवारा ने गृह मंत्री अनिल विज से अपील की है कि भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के अपमान के लिए तुरंत माफी मांगे। उन्होंने प्रभु श्रीराम से प्रार्थना की कि आपको सद्बुद्धि दे।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें देवियों से ऐसी एलर्जी क्यूं है। मां सरस्वती तो रुष्ठ लग ही रही हैं आजकल, कहीं मां लक्ष्मी भी न रूठ जाएं।
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने सोशल मीडिया साइट X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा- ‘जब दीपावली का त्योहार श्रीराम के चौदह साल के वनवास काटकर वापस अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है तो दिवाली पर हर दुकान पर श्रीराम की मूर्ति क्यों नहीं दिखती।
‘विज ने आगे लिखा- ‘एक बात समझ नहीं आती कि लोग दिवाली तो मनाते हैं श्रीराम जी के 14 वर्ष बाद अयोध्या वापस लौटने के कारण, परंतु पूजा करते हैं लक्ष्मीजी की।
बाजार में भी लक्ष्मीजी की प्रतिमा तो मिल रही है प्रत्येक दुकान पर परन्तु रामजी की प्रतिमा किसी किसी दुकान पर है। प्रश्न उठता है कि ऐसा क्यों? अगर प्रभु रामजी खुश हो जाएं तो फिर बाकी सबकुछ तो अपने आप आ जाता है।’