नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (निसा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स वेल्फेयर एसोसिएशन हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा ने वीरवार अंबाला में प्रेस वार्त्ता में कहा कि 10 साल पुराने स्थायी मान्यता वाले निजी स्कूलों के लिए बनाई गई समीक्षा नीति का निजी स्कूल संचालक पुरजोर विरोध करते हैं। निजी स्कूलों के लिए दमनकारी स्थायी मान्यता का रिव्यू सिस्टम जड़ से खत्म होना चाहिए।
डॉ. कुलभूषण शर्मा ने मीडिया के समक्ष कहा कि हम शिक्षाविद नई शिक्षा नीति 2020 का स्वागत करते हैं। शिक्षा से देश और प्रदेश का विकास होगा। एक तरफ हरियाणा सरकार नई शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देने को तत्पर है,दूसरी तरफ 10 वर्ष पुराने मान्यता प्राप्त स्कूलों के रिव्यू संबंधी लेटर जारी हुआ है जो कि शिक्षा व्यवस्था में बाधा उत्पन्न कर रहा है।
डॉ. कुलभूषण का कहना है कि हम रिव्यू की पेचीदगी का विरोध कर रहे हैं। इससे करप्शन को बढ़ावा मिलेगा। शिक्षा विभाग की इस नीति के विरोध में हम लामबंद हैं और रिव्यू के लिए फार्म नहीं भरेंगे।
हमारा मानना है कि जिन स्कूलों को एक बार मान्यता प्रदान कर दी गई है उन स्कूलों की बार-बार समीक्षा कराने की आवश्यकता क्या है? सच यह है कि स्कूलों को नार्म्स के पूर्ण होने के बाद मान्यता दी गई थी।
हर साल भरते हैं हम फार्म-6
निजी स्कूल्स हर साल फार्म-6 भर कर अपने स्कूल संबंधी तमाम तकनीकी जानकारी सरकार के समक्ष रखते हैं। जब सरकार के पास स्कूलों संबंधी पूर्ण जानकारी पहले से है, ऐसे में नए नियम को लागू करने का क्या औचित्य है। सरकार चाहे तो 10 साल स्थायी मान्यता वाले स्कूलों से एक हलफनामा ले सकती है। इसके अलावा सरकार अपने स्तर पर स्कूलों की जांच करवा सकती है।
करप्शन को बढ़ावा देगा नया नियम
नए नियम के तहत रिव्यू कराने के लिए स्कूल संचालकों को सरकारी आफिसों के धक्के खाने पड़ेंगे। ऐसे हालात में करप्शन को बढ़ावा मिलेगा।