मई, 2023 में भड़की जातीय हिंसा के बाद मणिपुर लगातार चर्चा में है। विपक्षी राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है।
हालात कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विगत 10 महीने से अधिक समय से पूर्वोत्तर भारत के इस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद 13 फरवरी, 2025 को केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का एलान किया था।
हालात में पर्याप्त सुधार न होने के कारण अगस्त, 2025 में राष्ट्रपति शासन की अवधि को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया।
कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने कहा, भले ही जातीय संघर्ष से जूझ रहे अलग-अलग पक्षों का मतभेद सुलझाने में समय लगेगा, लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि अंत में पूर्वोत्तर भारत के इस राज्य में पूर्ण शांति भी बहाल होगी।
संघ प्रमुख भागवत ने कहा, उन्होंने खुद इस राज्य के सभी आदिवासी और सामाजिक नेताओं के साथ-साथ युवा प्रतिनिधियों से बातचीत की है।
यहां अशांति का मुख्य कारण कानून और व्यवस्था की समस्या है। हालांकि, ये समस्याएं धीरे-धीरे कम हो रही हैं और एक साल के भीतर ये पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।