अब दसवीं पास युवा भी डिप्लोमा करने के बाद बीज, खाद व दवाई बेचने से संबंधित लाइसेंस ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि हरियाणा एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (हमेटी) द्वारा दसवीं पास युवाओं को डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन सर्विसेज फार इनपुट डीलर (डेसी) कराया जाएगा।
48 सप्ताह के इस प्रशिक्षण के बाद डिप्लोमा मिलेगा और इसको लेकर सप्ताह में एक दिन की क्लास लगेगी। इस डिप्लोमा के आधार पर भारत के किसी भी राज्य मे बीज, खाद व दवाई बेचने का लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगे।
उन्होंने बताया कि पहले बीज, खाद व दवाई बेचने के लाइसेंस की कोई शर्त नही थी लेकिन भारत सरकार द्वारा ये डिप्लोमा अनिवार्य कर दिया गया है। इस डिप्लोमा की फीस 20 हजार रुपये देनी होगी, डिप्लोमा के बगैर कोई लाइसेंस नही बनेगा और ना ही कोई नया या पुराना लाइसेंस रिन्यू होगा।
उन्होंने बताया कि इस कोर्स को करने के बाद विक्रेताओं को बीज, खाद व कीटनाशक दवाइयों की बेहतर जानकारी होगी और वो किसानों को सही जानकारी दे सकेंगे। इससे बाजार में नकली खाद-बीज की समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिलेगा। उन्होने बताया कि किसान दुकान से ही बीज, उर्वरक व कीटनाशक खरीदता है ऐसे में ये जरूरी है कि इस संबंध में उन्हें बुनियादी ज्ञान हो।