गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि खेल में बहुत स्कोप हैं। हरियाणा का क्षेत्रफल 1.3 प्रतिशत है लेकिन मेडल का प्रतिशत 50 प्रतिशत हैं।
हरियाणा की मिट्टी में खेल है तथा खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। खिलाडिय़ों ने भी अपनी खेल प्रतिभा से देश व प्रदेश के नाम अनेकों मैडल जीतकर देश का गौरव भी बढाने का काम किया हैं।
गृह मंत्री ने रविवार रात को अम्बाला फुटबाल संघ द्वारा वार हिरोज स्टेडियम अम्बाला छावनी में फुटबाल प्रतियोगिता के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे और यह अभिव्यक्ति उन्होंने अपने सम्बोधन में कहीं।
इस मौके पर उन्होनें अन्डर-14 व अन्डर-17 फुटबाल प्रतियोगिता की विजेता टीम मिक्की मॉडल स्कूल को ट्राफी भी भेंट की। इसके साथ-साथ उन्होनें रन्रअप टीम व फुटबाल के पुराने खिलाडिय़ों को भी सम्मानित किया।
इस मौके पर अम्बाला फुटबाल संघ के पदाधिकारियों ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर उनका भव्य अभिनन्दन भी किया। इस मौके पर गृह मंत्री ने अपने स्वैच्छिक कोष से 5 लाख रूपए की राशि अम्बाला फुटबाल संघ की गतिविधियों के विस्तार के लिए देने की घोषणा भी की।
विज ने इस मौके पर अपने सम्बोधन में कहा कि आज मेरा बचपन पुन: जीवित हो गया हैं। जब मैं स्कूल में पढ़ा करता था तो उस वक्त हमें मैच खेलने के लिए स्कूल की छुट्टी कर दी जाती हैं और हम इस मैदान में जहां धूल भरी आंधी चलती थी वहां पर मैच देखने के लिए आते थे और पूरा ग्राउंड दर्शकों से भरा होता था।
उन्होंने कहा कि जिस तरह पहले अम्बाला में फुटबाल का दबदबा था और खिलाड़ी अपनी प्रतिभा से सभी को चकित कर देते थे, वैसा ही नजारा आज देखने को मिला है। मिक्की मॉडल स्कूल की टीम जैसे ही विजयी घोषित हुई और जिस प्रकार उन्होंने जीत के बाद डांस किया है और इसे देख कर मैं काफी खुश हुआ हूं।
उन्होंने कहा कि मेरी हमेशा से यहीं तम्मना रही है कि अम्बाला का फुटबाल आगे बढ़े, क्योंकि मुझे भी फुटबाल के साथ जुडने का मौका मिला हैं। पुराने समय में मुकेश त्रिखी व जोली द्वारा ऐरियन फुटबाल कल्ब बनाया गया था जिसके साथ मैं काफी समय से जुड़ा हूं।
उस समय की फुटबाल के दौरान जो खिलाडिय़ों का जज्बा था वैसा ही मुझे आज देखने को मिला हैं और मैं चाहता हूं कि जैसे अम्बाला छावनी का फुटबाल पहले था, घर-घर से खिलाड़ी खेलते थे और मां बाप भी अपने बच्चों को फुटबाल में भेजकर अपने आप पर फर्क महसूस करते थें।
उन्होनें कहा कि अम्बाला का फुटबाल तो ऐसा है कि उसने फुटबाल के जाने माने मोहन बैगान को हराने का काम किया हैं।