
देश की आजादी से पहले शुरू हुई दो बहनों के प्रेम की दास्तां सोमवार को खत्म हुई। लगभग 82 साल एकसाथ रही दोनों बहनों ने एक साथ अंतिम सांस ली। परिवार के लोगों ने भी इनकी भावना का पूरा सम्मान किया। समर्पण, प्रेम भाव की मिसाल बनी बहनों का एक ही समय पर अंतिम संस्कार किया गया।
मामला गांव छुड़ानी का है। यहां सोमवार को 82 वर्षीय मिश्री देवी स्व. रामेश्वर सहवाग का निधन हो गया। छोटी बहन के जाने के दो घंटे बाद ही 88 वर्षीय मेवा देवी स्व. जिले सिंह सहवाग ने भी अंतिम सांस ली। परिवार ने भी दोनों बहनों की अंतिम यात्रा निकाली और एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया। दरअसल, डाबोदा खुर्द गांव में लगभग 88 साल पहले मेवा देवी का जन्म हुआ। करीब छह साल बाद मिश्री देवी ने जन्म लिया।
दोनों बहनों में एक-दूसरे से प्रेमायचपन से लेकर युवावस्था तक हमेशा साथ रही। मेवा की गांव छुड़ानी में 1954 में से शादी हो गई। शादी के बाद दोनों में लगाव कम नहीं हुआ। मेवा छोटी बहन मिश्री को 1962 में देवर रामेश्वर से ब्याह लाई। घर से लेकर खेती सहित तमाम कामकाज में एक-दूसरे का हाथ बंटाती उम्र ढल गई और दोनों के पनि चल बसे लेकिन इनका एक-दूसरे के प्रति समर्पण खत्म नहीं हुआ।
छोटी बहन के देहांत के दर्द को मेवा देवी भी सहन नहीं कर पाई और लगभग दो घंटे बाद साढ़े छह बजे वो भी चल बसी। दोनों बहनों के साथ को परिवार के लोगों ने भी आगे बढ़ाया। में एक साथ अंतिम यात्रा निकली और एक हो चिता पर दोनों बहनों की अत्येष्टि हुई। इसी के साथ 82 साल के इस अनूठे प्रेम के अध्याय का अंत हुआ।
दोनों बहने समाज में मिलजुलकर प्रेम पूर्वक रहने का संदेश दे दे गई है। मेवा देवी अपने पीछे चार बेटे, दो बेटी छह पौते, तीन पोती, दो पड़ पौते व दो पड़पोती को छोड़ गई है। इनको बड़े बेटे सद्दे पहलवान ने मुखाग्नि दी। वहीं मिश्री देवी भी दो बेटों एक बेटी, दो पौते, दो पौती एक पड़पोते सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गई है। इनके पार्थिव शरीर को बड़े बेटे धर्म ने मुखाग्नि दी।