सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न सेवाओं के लिए राइट टू सर्विस एक्ट के तहत समयसीमा निर्धारित कर दी गई है। सभी विभागों को निर्धारित समय में ही सेवाओं के लिए प्राप्त आवेदनों को निपटाना होता है। सरकार द्वारा पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से आस अर्थात ऑटो अपील सॉफ्टवेयर शुरू किया गया है, जिसके बाद अब किसी भी सेवा में देरी होने पर वह ऑटो अपील में चली जाती है।
सरकार प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त एवं पारदर्शी प्रशासन देने के लिए अहम कदम उठा रही है। सरकार द्वारा 500 से भी अधिक सरकारी सेवाएं ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से दी जा रही हैं और इनके लिए समयसीमा भी निर्धारित की गई है। इसी कड़ी में एक कदम आगे बढ़ते हुए अब सरकार ने आस नामक ऑटो अपील सॉफ्टवेयर शुरू कर दिया है। अब राइट टू सर्विस एक्ट के तहत समयबद्धता के साथ सेवाओं का निष्पादन सुनिश्चित किया गया है। सरकार द्वारा शुरू किया गया आस ऑटो अपील सॉफ्टवेयर लोगों के लिए काफी कारगर साबित हो रहा है। इसके जरिए सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत निर्धारित समय में कार्य नहीं होने पर अपने आप आवेदन उच्च सक्षम अधिकारी के पास चला जाता है।
उन्होंने बताया कि अगर सक्षम अधिकारी के पास भी काम होने में देरी होती है तो आवेदन आगे वरिष्ठ अधिकारी के पास चला जाता है। अगर इन दोनों स्तरों पर भी कार्य का निपटान नहीं होता है तो आवेदन स्वत: ही राइट टू सर्विस कमीशन के पास पहुंच जाएगा।
यह कदम सरकार ने जनहित को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक कार्यशैली को जवाबदेह, पारदर्शी, निष्पक्ष और प्रभावी बनाने के मद्देनजर उठाए हैं। आस-ऑटो अपील सॉफ्टवेयर आमजन के अधिकारों को सशक्त बनाने की दिशा में सरकार का एक अहम कदम है। हर स्तर पर निर्धारित समय अवधि के दौरान अपील पर एक्शन होगा। ऑटो अपील सॉफ्टवेयर के शुरू होने से लोगों के कार्य एक निर्धारित समय-सीमा के अन्दर होंगे।
राइट टू सर्विस एक्ट के दायरे में आवेदक को सरकारी सेवाएं और योजनाओं का समयबद्ध लाभ देना संबंधित विभाग और अधिकारी का दायित्व है। जिला व उपमंडल स्तर पर कार्यरत सभी विभागों को अपने-अपने कार्यालयों के बाहर सेवा का अधिकार अधिनियम के अनुसार निर्धारित समय सीमा का ब्यौरा चस्पा करना है।