हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के वाइस चेयरमैन धूमन सिंह किरमच ने बिलासपुर के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में प्रेस वार्ता की। प्रेस वार्ता में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि सरस्वती नदी का कायाकल्प हमारी समृद्ध सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पुरातत्व विरासत से संबंधित राष्ट्रीय गौरव का विषय है। ऋग्वेद नामक विश्व का सबसे पुराना साहित्य और अन्य संबद्ध साहित्य इस नदी के तट पर लिखे गए थे, जिसने भारत को विश्वगुरु की स्थिति में रखा। यह महान भारतीय मूल्य प्रणाली की निरंतरता और सरस्वती सिंधु सभ्यता के गौरवशाली अतीत को वर्तमान युग में दर्शाता है। वैदिक नदी सरस्वती शिवालिक पर्वत से निकलती है और आदि बद्री में मैदानों में प्रवेश करती है।
उन्होंने बताया कि आदिबद्री से लेकर सिरसा तक सरस्वती नदी का पहुंच क्षेत्र है। सरस्वती नदी के जीर्णोद्धार को लेकर सरकार बड़े प्रोजेक्ट की तैयारी में लगी हुई है। डैम, बैराज और रिज़र्व वायर का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा । सरस्वती नदी के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए किसान बढ़-चढ़कर अपनी जमीन दे रहे हैं। किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिया जा रहा है। बहुत से किसान सरस्वती नदी के लिए अपनी जमीन मुफ्त में दे रहे हैं ।
यह बड़े हर्ष की बात है। लोगों के बीच यह श्रद्धा का विषय है। सरस्वती नदी के किनारे पर 120 के लगभग घाट व मंदिर पड़ते हैं। लोगों में सरस्वती नदी के प्रति श्रद्धा बढ़ी है। लोग अब सफाई में भी ध्यान दे रहे हैं। कूड़ा-करकट आदि नदी में डालने से रोकते हैं । इस सरकार में लोगों में सरस्वती नदी के प्रति श्रद्धा और जागरूकता बढ़ी है। स्कूली पाठ्यक्रम में भी सरस्वती नदी के इतिहास को पढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री मनोहर लाल का सपना है कि सरस्वती नदी में 12 महीने पानी रहे, वह लक्ष्य हम 2024 से पूर्व पूरा कर लेंगे। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के 200 किलोमीटर के पहुंच क्षेत्र में से 180 किलोमीटर में जल का प्रवाह है। आज सरस्वती के साथ लगते 10 किलोमीटर क्षेत्र में किसान बहुत खुश हैं क्योंकि जलस्तर बढऩे से सरस्वती नदी किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
सरस्वती नदी के साथ लगते नदियों और नालों के बरसाती पानी को सरस्वती नदी में लेकर आएंगे जिससे दोनों तरफ से किसानों को फायदा होगा। साथ लगते गांवों से निकलने वाले गंदे पानी को सरस्वती नदी में आने से रोका जाएगा तथा 5 पौंड सिस्टम बना कर पानी को साफ कर सरस्वती नदी में डाला जाएगा।
उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से कपाल मोचन, आदिबद्री, कलेसर, सरस्वती उदगम स्थल और लोहागढ़ क्षेत्र का सरकार विकास कर रही है। इन सभी क्षेत्रों को बड़े स्तर पर कनेक्ट करके पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। आदिबद्री को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल का सपना आने वाले समय में पूर्ण होगा। इस मौके पर अधिवक्ता मुकेश गर्ग, बिलासपुर की तहसीलदार चेतना चौधरी, सिंचाई विभाग के जेई अनुराग सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।