धान की सीधी बिजाई को लेकर किसान कल्याण एवं कृषि विभाग द्वारा सम्बंधित किसानों के बैंक खातों में चार हजार रूपये प्रति एकड प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। ऐसे किसान जो धान की सीधी बुआई कर रहे है, वे मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर रजिस्टेशन अवश्य करवाएं। यह जानकारी उपायुक्त पार्थ गुप्ता दी।
कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वर्तमान में भूमि के गिरते जल स्तर और पानी की समस्या को देखते हुए जिला में किसानों को धान की सीधी बुवाई करने के लिए प्रेरित करें। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को 4 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। किसानों को मेरी फसल -मेरा ब्यौरा पोर्टल पर 30 जून तक अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
इसके बाद कृषि विभाग के अधिकारियों की अध्यक्ष्ता में बनी कमेटी किसानों द्वारा बुवाई की गई फसल का सत्यापन करेगी और जांच रिपोर्ट 25 जुलाई तक विभाग को सौपेगी उसके बाद सम्बंधित किसान के खाते में यह राशी जारी कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कृृषि विभाग द्वारा इस बारे किसानों को जागरूक करने के लिए शिविर लगाकर प्रचार-प्रसार भी किया जाए ।
कृषि विभाग के उप निदेशक डाक्टर जसविन्द्र सिंह सैनी ने बताया कि जिला में जल संरक्षण व बिजली की बचत के लिए किसानों को जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा धान की सीधी बिजाई करवाने के लिए जिला में डीएसआर मशीने सब्सीडी पर दी जाएगीं यह मशीने किसानों को पहले आओ पहले पाओ प्रणाली के तहत मुहैया करवाई जाएगी। रजिस्टेशन कर चुके किसानो को आगामी 21 जून को यह मशीने मुहैया करवा दी जाएगीं।
बता दें कि धान की बुवाई दो प्रकार से की जाती है पहला सीधी बिजाई जिसके तहत किसान धान के बीज को सीधे खेत में छिडकाव करके या सीड ड्रिल से बोते हैं। दूसरा धान की पहले नर्सरी तैयार करते हैं उसके बाद खेत में बुवाई करते हैं। नर्सरी तैयार करके बुवाई करने पर धान की खेती में अधिक पानी की जरूरत होती है। राज्य सरकार धान की खेती में कम पानी में करने के लिए धान की सीधी बुआई करने वाले किसानों 4जार रुपए प्रति एकड़ का अनुदान प्रदान करेगी।
धान की सीधी बुवाई का क्या है तरीका या विधि-
धान की सीधी बुआई दो विधिओं से की जाती है। एक विधि में खेत तैयार कर ड्रिल द्वारा बीज बोया जाता है। बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमीं होना आवश्यक है। दूसरी विधि में खेत में लेव लगाकर अंकुरित बीजों को ड्रम सीडर द्वारा बोया जाता है। बुवाई से पूर्व धान के खेत को समतल कर लेना चाहिए। धान की सीधी बुवाई करते समय बीज को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर ही बोना चाहिए। मशीन द्वारा सीधी बुवाई में कतार से कतार की दूरी 18-22 से.मी. तथा पौधे की दूरी 5-10 से.मी. होती है। इस विधि में वर्षा होने से पूर्व खेत तैयार कर सूखे खेत में धान की बिजाई की जाती है।
धान की सीधी बुवाई में प्रयोग में आने वाली मशीन
धान की सीधी बुवाई के लिए जीरो टिल ड्रिल अथवा मल्टीक्रॉप प्रयोग में लाया जाता है। सीधी बुआई हेतु बैल चलित सीड ड्रिल का भी उपयोग किया जा सकता है। जिन खेतों में फसलों के अवशेष हो और जमीन आच्छादित हो वहां हैपी सीडर या रोटरी डिस्क ड्रिल जैसी मशीनों से धान की बुवाई करनी चाहिए। नौ कतार वाली जीरो टिल ड्रिल से करीब प्रति घंटा एक एकड़ में धान की सीधी बुवाई हो जाती है। धान की बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में पर्याप्त नमी हो।
धान की सीधी बुवाई तकनीक के क्या होते हैं लाभ-
धान की सीधी बुवाई के कई लाभ होते हैं। इसमें पानी कम लगता है और लागत में भी कमी आती है। रोपाई वाली विधि की तुलना में सीधी बुआई तकनीक से 20 से 25 प्रतिशत पानी की बचत होती है क्योंकि इस विधि से धान की बुवाई करने पर खेत में लगातार पानी बनाए रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस विधि से किसान भाई जीरो टिलेज मशीन में खाद व बीज डालकर आसानी से बुवाई कर सकते हैं। इससे बीज की बचत होती है और उर्वरक उपयोग दक्षता बढ़ती है।