बाजार में आजकल ऐसे रंग आ रहे हैं, जो त्वचा, आंखों, बालों पर गंभीर असर डालते हैं, जो मानवीय स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होते हैं।
कई बार तो लोगों के सामने अस्पताल तक जाने की नौबत आ जाती है। इन सब बातों को ध्यान रखते हुए महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक विभिन्न फूल-पत्तियों से हर्बल गुलाल तैयार करने में जुटे हैं।
इन प्रयासों में वैज्ञानिकों को गेंदे की फूल पत्तियों और चुकंदर से हर्बल गुलाल तैयार करने में सफलता पाई हैं। एमएचयू द्वारा विभिन्न फूलों पर अनुसंधान कर रहा हैं।
माननीय कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने बताया कि महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय का प्रमुख उदेश्य है कि लोगों को किसानों को प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ना।
जैसे-जैसे प्राकृतिक खेती बढ़ेगी उसी अनुरूप लोगों का रूझान भी प्राकृतिक खेती के उपजी फसलों की ओर जाएगा। उनके उत्पादों के फायदों के प्रति जागरूक करने के लिए एमएचयू तेजी से प्रयास कर रही हैं।
कुलपति ने बताया कि एमएचयू ने होली पर्व को देखते हुए गेंदे की फूल पत्तियों और चुकंदर से हर्बल गुलाल तैयार किया है, जो कैमिकल रहित हैं। प्राकृतिक तरीके से गेंदे के फूल, पत्तियों ओर चुकंदर से हर्बल गुलाल तैयार किया है, बाकि कई प्रकार के फूलों से हर्बल गुलाल तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
क्योंकि आजकल लोगों में प्राकृतिक रंगों के प्रति जागरूकता बढ़ रही हैं, ऐसे में एमएचयू द्वारा तैयार किए जा रहे हर्बल रंगों का रूझान एकदम बढ़ेगा।
जिसकी पूर्ति के लिए ज्यादा संसाधनों की जरुरत होगी। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा हर्बल रंगों की मांग पूरा करने के लिए व्यापारिकरण का प्रयास किया जाएगा।
माननीय कुलपति ने बताया कि एमएचयू की टीम ने फूल पत्तियों व फलों को सुखाकर बारीक पिसाई करके यह रंग तैयार किए है। किसी तरह का दूसरा रंग या केमिकल्स का प्रयोग नहीं किया गया हैं।
फूल, पत्तियों ओर चुकंदर से तैयार हर्बल गुलाल का रंग भी प्राकृतिक ही रखा गया हैं। उन्होंने कहा कि जिन फूलों से हर्बल गुलाल बनाया गया हैं, वे उन फूलों की पैदावार भी उद्यान विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं की हैं।
माननीय कुलपति ने सभी से अपील कि होली पर्व को मिलकर सौहार्द पूर्ण तरीके से मनाएं, हर्बल गुलाल का प्रयोग करें। पानी का प्रयोग न करें। क्योंकि पानी अनमोल चीज हैं, इसे सहजने की आवश्यकता हैं।