अम्बाला — अंबाला (अनुसूचित जाति आरक्षित) संसदीय अर्थात लोकसभा सीट को रिक्त हुए 7 महीने से ऊपर हो चुके है. हालांकि भारतीय चुनाव आयोग द्वारा आज तक यहाँ उपचुनाव नहीं कराया गया है.
18 मई 2023 को इस लोकसभा हलके से मई, 2019 में भाजपा के टिकट पर निर्वाचित रतन लाल कटारिया, जो जुलाई,2021 तक मौजूदा मोदी सरकार-2 में केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे थे, के निधन फलस्वरूप यह सीट खाली हुई थी. कटारिया वर्ष 1999 और 2014 में भी अम्बाला से लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए थे.
इसी बीच शहर निवासी एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि गत सात महीने से अंबाला संसदीय सीट पर उपचुनाव कराने या न कराने बारे भारतीय चुनाव आयोग बिल्कुल मौन रहा है. हालांकि गत 3 अक्तूबर को हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी ( सीईओ) अनुराग अग्रवाल द्वारा एक प्रेसवार्ता के दौरान यह कहा गया कि रिक्त अंबाला अम्बाला लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं होगा और अप्रैल-मई, 2024 में निर्धारित 18वीं लोकसभा आम चुनावों में ही इस सीट पर नियमित चुनाव होगा. परंतु ध्यान देने योग्य है कि इस संबंध में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ही औपचारिक और आधिकारिक घोषणा की जा सकती है, न कि प्रदेश के सीईओ द्वारा.
हेमंत ने आगे बताया कि करीब तीस वर्ष पूर्व अप्रैल, 1994 में जब अम्बाला संसदीय सीट से तत्कालीन सांसद कांग्रेस के राम प्रकाश का निधन हुआ था, तब भी पूरे दो वर्षो पर उपचुनाव नहीं कराया गया था. हालांकि तब लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 में निर्वाचित सांसद के निधन के 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराने का प्रावधान नहीं था जो वर्ष 1996 में डाला गया था.
इसके बाद मई, 2014 में अम्बाला शहर से तत्कालीन विधायक कांग्रेस के विनोद शर्मा ने एम.एल.ए. के पद त्यागपत्र दे दिया था क्योंकि तब उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर उनकी नई पार्टी बनानी थी जिसका नाम बाद में हरियाणा जनचेतना पार्टी (वी ) रखा गया जो आज भी भारतीय चुनाव आयोग द्वारा गैर मान्यता प्राप्त रजिस्टर्ड राजनीतिक दल के तौर पर पंजीकृत है. बहरहाल, चूँकि शर्मा के त्यागपत्र के समय तत्कालीन हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम शेष था, इसलिए अम्बाला शहर विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं कराया गया था.