गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि पूरी वसुधा एक परिवार है। यही सनातन की सोच है और यही गीता का सार है। भगवद्गीता केवल हिंदुओं के लिए ही नहीं पूरी मानवता के कल्याण का ग्रंथ है। इसके 700 श्लोकों में हिन्दू शब्द कहीं भी नहीं है। गीता में सभी प्राणियों का हित चिंतक परमपिता परमात्मा को बताया गया है।
वे मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, हरियाणा सरकार के सहयोग से वसुधैव कुटुंबकम श्रीमदभगवद् गीता और वैश्विक एकता विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समारोप अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे ।
इससे पहले दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया व मुख्यातिथि द्वारा सेमिनार के शोधपत्रों पर आधारित संकलित रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में गीता पर आधारित पढ़े गए शोध पत्रो, पोस्टर प्रतियोगिता, क्विज के विजेताओं को सभी अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि प्रकृति और सभी प्राणियों में एक ही तत्व विद्यमान है। विद्युत उपकरणों व उनके कार्य अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन उनको संचालित करने के लिए विद्युत एक ही है। इसी प्रकार सभी प्राणियों में परमपिता परमात्मा एक ही है जिससे पूरा ब्रह्मांड संचालित हो रहा है।
शांत मन, शीतल स्वभाव, भगवद् गीता का प्रभाव है। वसुधैव कुटुम्बकम की सोच गीता के हर श्लोक में मिलती है। इसके साथ ही उन्होंने 23 दिसम्बर को प्रातः 11 बजे एक मिनट गीता पाठ से जुड़ने का सभी से आह्वान किया।
समारोह के विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार भारत भूषण भारती ने कहा कि प्रारम्भिक तौर पर 1972-73 में भारत सेवाश्रम द्वारा गीता जयंती मनाई जाती थी। वहीं 1996 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कुरुक्षेत्र आगमन पर इसे राज्य स्तरीय स्तर पर मनाया जाने लगा।
वहीं 2014 में कुरुक्षेत्र आगमन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गीता जयंती को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का आह्वान किया था जिसे 2015 में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा मूर्त रूप दिया गया। अशान्ति के दौर में भगवद्गीता का ज्ञान युद्ध भूमि से बाहर निकलकर मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि भगवद् गीता का विश्व की 82 भाषाओं में अनुवाद किया गया है जिसमें से 15 विदेशी भाषाओं में अनुवाद के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गीता का प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
उन्होंने गीता जयंती को देश-विदेश में भव्य स्वरूप में मनाए जाने के लिए स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का धन्यवाद प्रकट किया व 5160वीं गीता जयंती की बधाई दी। कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि वैज्ञानिक पद्धतियां बाद में आई हैं जबकि पंचांग के माध्यम से नक्षत्रों के बारे में भारतीयों की सटीक वैज्ञानिकता ज्यादा रही है। गीता को जीवन में उतारकर निजी, प्रोफेशनल, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।