पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा खुली बोली में स्टाल नीलाम करने की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक-एक स्टाल सवा लाख तक नीलाम किए गए हैं, जिसका बोझ जनता पर पड़ रहा है। जो दुकानदार इतने महंगे स्टाल लेगा वह अपना माल भी कई गुणा दाम बढ़ाकर बेचेगा, जिसका सीधा बोझ जनता पर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने गीता जयंती समारोह का व्यवसायीकरण कर दिया है। एक ओर जहां अत्याधिक महंगे रेट पर स्टाल बेचे जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नेशनल अवार्डी शिल्पकार स्टाल के लिए धक्के खाते घूम रहे हैं। मीडिया के अनुसार अनेक महिला, नेशनल अवार्डी जोकि निमंत्रण पर गीता जयंती समारोह में पहुंचे लेकिन उन्हें स्टाल पाने के लिए कई-कई दिन धक्के खाने पड़े और उसके बाद बड़ी मुश्किल से उन्हें स्टाल मिल रहे हैं।
अरोड़ा ने कहा कि गीता जयंती का उत्सव एक आस्था का उत्सव है इस उत्सव का व्यवसायीकरण करना सरासर गलत है। गीता जयंती के स्टालों में 20 रुपये की वस्तु 100 रुपये में बेची जा रही है और इस प्रकार कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की कार्यप्रणाली से जनता की जेबों पर डाका डाला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरस और शि ल्प मेले का उद्देश्य देशभर के हस्तशिल्प को बढ़ावा देना था लेकिन केडीबी ने मेले को पैसे कमाने का साधन बना दिया। अरोड़ा ने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के चेयरमैन एवं महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मांग की है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करें और गीता जयंती समारोह का व्यवसायीकरण बंद करें।