सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही फसल अवशेष प्रबंधन योजना का पूर्ण लाभ उठाएं। किसान कृषि यंत्रों से धान की पराली को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ा सकते हैं या स्ट्रा बेलर मशीन से पराली की गांठे बनाकर सरकार द्वारा दी जा रही एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकते हैं। फसल अवशेष प्रबंधन की नीति अपनाकर आय का अतिरिक्त स्त्रोत बना सकते हैं।
सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन की महत्वपूर्ण योजना क्रियान्वित की जा रही हैं, जिसके तहत किसानों को फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस योजना के तहत किसानों को कृषि यंत्रों सुपर सीडर, जीरो टिलेज मशीन, स्ट्रा चोपर, हैपी सीडर एवं रिवर्सिबल प्लो अनुदान पर दिए जाते है।
किसान इन कृषि यंत्रों का प्रयोग करके पराली को मिट्टी में मिलाकर जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं या स्ट्रा बेलर मशीन से पराली की गांठे बनाकर सरकार द्वारा दी जा रही एक हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का लाभ उठा सकते हैं।
फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के दृष्टिगत माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार फसल अवशेष जलाने वाले किसानों से जुर्माना वसूल किया जाएगा।
एक एकड़ में लगभग दो टन पराली का उत्पादन होता है। इसकी गांठ बेचने पर लगभग 3600 रुपए की किसान की आमदनी होती है तथा किसानों द्वारा पोर्टल पर रजिस्टे्रशन करवाने से एक हजार प्रति एकड़ तक का लाभ दिया जाता है। इस प्रकार से किसान को पराली न जलाने पर लगभग 4600 रुपए की राशि का अतिरिक्त लाभ होता है।