अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह वाले मुद्दे पर बात की।
दरअसल, सीजेआई चंद्रचूड़ ‘भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालयों के परिप्रेक्ष्य’ विषय पर तीसरी तुलनात्मक संवैधानिक कानून चर्चा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वाशिंगटन डीसी पहुंचे है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि वह समलैंगिक जोड़ों के नागरिक संघों के पक्ष में अपने अल्पमत के फैसले पर कायम हैं, क्योंकि कभी-कभी यह ‘विवेक का वोट और संविधान का वोट’ होता है। इस कार्यक्रम की मेजबानी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन, डीसी द्वारा की गई थी।
सीजेआई ने कहा, “मुझे विश्वास है कि यह कभी-कभी अंतरात्मा की आवाज और संविधान का वोट होता है और मैंने जो कहा है, मैं उस पर कायम हूं।” सीजेआई समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले पर भी कायम रहे।
दरअसल, पीठ ने विशेष विवाह अधिनियम में हस्तक्षेप न करने और समलैंगिक जोड़ों को विवाह में समानता देने के मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार संसद पर छोड़ने का फैसला किया है।
सीजेआई ने एसोसिएशन को अधिकार देने के अपने अल्पमत निर्णय को भी दोहराया, जबकि पीठ में उनके अधिकांश सहयोगियों ने महसूस किया कि यूनियन बनाने के अधिकार को मान्यता देना फिर से पारंपरिक डोमेन से परे है और इसे संसद पर छोड़ दिया जाना चाहिए।