कुरुक्षेत्र/भव्या नारंग: हरियाणा के राज्यपाल एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जातपात और छूआछूत को भूलकर 140 करोड़ लोगों को एकसूत्र में बंधना होगा। जब देश का एक-एक नागरिक डॉ. भीमराव अम्बेडकर के दिखाए मार्ग पर चलेगा तो निश्चित ही आत्मविश्वास की भावना पैदा होगी। जब मानव में आत्मविश्वास पैदा होगा तो निश्चित ही मानव आत्मनिर्भरता की तरफ आगे बढ़ेगा।
राज्यपाल शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र तथा इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल सांईस रिसर्च के सहयोग से डॉ. बी.आर. अम्बेडकर विजन फॉर सेल्फ रिलायंट इंडिया ऑफ 21 सेन्चुरी विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
इससे पहले राज्यपाल, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, डॉ. ऋषि गोयल, मुख्य वक्ता श्रीलंका से कलिंगा तूडोर सिल्वा, निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद व सहायक निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान विश्वविद्यालय की तरफ से सभी मेहमानों को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि देश की भावी पीढ़ी को अपने जहन में आत्मविश्वास पैदा करने के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन पर लिखी पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। इन पुस्तकों का अध्ययन करने से आत्मविश्वास पैदा होगा और युवा आत्मनिर्भर बनेंगे। जब देश की भावी पीढ़ी आत्मनिर्भर होगी तो देश भी आत्मनिर्भरता की तरफ आगे बढ़ेगा। इसके साथ ही सभी को सामाजिक समरसता, सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता जैसे विषयों पर भी मंथन करने की जरूरत है। उन्होंने संसद में महिलाओं के लिए पारित किए गए नारी शक्ति वंदन बिल से 33 प्रतिशत आरक्षण की देने की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह एक अच्छा विजन है। इससे महिलाओं को आगे आने का अवसर मिलेगा और महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनने की तरफ अग्रसर होंगी।
राज्यपाल ने कहा कि पूरी दुनिया आज भारत रत्न अम्बेडकर के विचारों के महत्व को समझ रही है। दुनिया में चल रहे युद्ध, अशांति, टकराव व भेदभाव से बाहर आने का रास्ता भारत से होकर गुज़रता है। ऐसे आदर्शवादी महान व्यक्तित्व से आज हमारी नई पीढ़ी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। उनका कहना था कि भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत आम आदमी है। इसलिए भारतीय संविधान की आधारशिला आम आदमी पर आधारित और उसी के प्रति समर्पित है।
विशिष्ट अतिथि गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने जीवन में नारी मुक्ति, जाति विहीन समाज व अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ी। बाबा साहेब आम आदमी की आवाज बने। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने जीवन पर्यन्त समाज के दबे, कुचले, शोषित लोगों को अपने जीवन को बदलने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सोमनाथ, विशिष्ट अतिथि निदेशक, एसआईएएसटीई, हरियाणा डॉ. ऋषि गोयल, मुख्य वक्ता प्रोफेसर एमिरेटस आफ सोशियोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ पेरीडेनिया, श्रीलंका कलिंगा तूडोर सिल्वा, डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र के सह-निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर उपायुक्त शांतनु शर्मा, पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र भौरिया सहित शिक्षक, शोधार्थी व विद्यार्थी मौजूद थे।