सरकारी नौकरी पाना हर एक युवा का सपना होता है . इसके लिए फॉर्म भरना पड़ता है, फिर परीक्षा देनी पड़ती है, फिर इंटरव्यू, मेडिकल व ट्रेनिंग के बाद एक सरकारी बाबू बनने का सपना पूरा होता है. और युवाओं के इसी सपने का फायदा ठग उठाते है . पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे ही एक अंतर्राज्यीय रैकेट का भंडाफोड़ स्टेट क्राइम ब्रांच, हरियाणा ने किया है .
मामला भारत सरकार के विभिन्न विभागों, फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया से लेकर आर्मी, आईटीबीपी, बीएसएफ, यूपी पीडब्लूडी आदि विभागों में नौकरी दिलवाने का था, इसीलिए केस की संजीदगी को समझते हुए स्टेट क्राइम ब्रांच, चीफ अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने पुलिस अधीक्षक सुरेश कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन कर त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए .
जांच में खुलासा हुआ कि ठग दिल्ली व उत्तर प्रदेश के है व मामला कई राज्यों से जुड़ा हुआ था, इसीलिए एसआईटी ने सबूतों पर काम करते हुए 5 महीने में ही केस का खुलासा कर 5 आरोपियों को 4 लाख रूपए, मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर, पेन ड्राइव के साथ गिरफ्तार किया.
अपॉइंटमेंट लेटर दिया , मेडिकल करवाया, प्राइवेट डिपो पर ट्रेनिंग, एफसीआई में गोदाम अटेंडेंट लगवाने के नाम पर ठगी
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला पुलिस को भिवानी निवासी रविंद्र, विक्रम व प्रदीप ने शिकायत दी थी कि सभी ने एफसीआई में गोदाम अटेंडेंट के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था, जिसमें नौकरी दिलवाने के नाम पर सिक्योरिटी की राशि की मांग की गई थी . आरोपियों ने शिकायतकर्ताओं से प्रति व्यक्ति साढ़े 5 लाख रूपए लिए थे जो की कुल मिलाकर साढ़े 16 लाख बनती है .
शिकायत में बताया गया कि पीड़ितों को अपॉइंटमेंट लेटर दिए गए और उसके बाद फ़िरोज़पुर, पंजाब में ट्रेनिंग करवाई गई . वहीँ पर पीड़ितों के कागज़ात जमा करवाए गए और पहचान पत्र भी जारी किये गए. पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि सभी से 3 महीने ट्रेनिंग के नाम पर काम करवाया गया और जल्दी ही पोस्टिंग देने का वादा किया गया.
इस दौरान शिकायतकर्ताओं को किसी भी प्रकार की सैलरी नहीं दी गई. जब कई दिन तक कहीं पोस्टिंग नहीं की गई और ना ही सैलरी मिली तो ठगी का एहसास हुआ और उन्होंने जिला पुलिस को शिकायत दी. जिला पुलिस अधीक्षक के आदेशों पर एफआईआर भी दर्ज की गई.