चंडीगढ़/समृद्धि पराशर: हरियाणा की स्थापना के 57 वर्षों के कार्यकाल में पिछले आठ वर्षों का मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अगुवाई में प्रदेश ने अनेक नये कीर्तिमान स्थापित किए, जिनकी चर्चा आज लोगों की जुबान पर है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यकाल में प्रदेश की दूरदराज की ढाणियों से लेकर ग्लोबल सिटी जैसे शहरों के युवाओं को बिना सिफारिश के सरकारी नौकरियां मिल रही हैं, जबकि पूर्व की सरकारों में न मेरिट थी और न ही पारदर्शिता।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जैसे ही प्रदेश की कमान संभाली, युवाओं के मान, सम्मान और स्वाभिमान को महत्व देते हुए मिशन मेरिट मोड को लागू किया, जिसका असर आज प्रदेश के हर कोने में देखने को मिल रहा है। किसी समय जो कोचिंग सेंटर बंद होने की कगार पर थे, वहां पर आज प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए कोचिंग लेने वाले युवाओं की कतार लगी है। एक विश्वास है कि नौकरी पाना है तो मेरिट में आना होगा, हर गांव व शहर के युवाओं का रुझान कोचिंग सेंटर की ओर देखने को मिल रहा है। इसे प्रदेश में एक नये शैक्षणिक प्रतिस्पर्धात्मक युग की शुरुआत कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। युवाओं की इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार गांव-गांव में ई-लाइब्रेरियां स्थापित कर रही है ताकि युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों की सुविधाएं सहज सुलभ हो सकें।
मुख्यमंत्री की पहल पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने पहली बार भर्तियों के लिए संयुक्त पात्रता परीक्षा की शुरुआत की है, जिससे युवा अपनी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार पद व पोस्ट का विकल्प दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री का दावा है कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के 10 साल के कार्यकाल में लगभग 86,000 नौकरियां दी गई, जबकि वर्तमान सरकार अब तक लगभग 1 लाख 10 हजार सरकारी नौकरियां दे चुकी है और आने वाले समय में 60,000 से अधिक नौकरियों की भर्ती की प्रक्रिया हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग व हरियाणा लोक सेवा आयोग के विचाराधीन है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि युवाओं को नौकरियां देने का हमारा लक्ष्य कांग्रेस से दोगुना से भी अधिक है, क्योंकि जब हमारी सरकार के वर्ष 2024 में 10 साल पूरे होगे तो उस समय नौकरियों की संख्या 1,70,000 से अधिक हो जाएगी।
इसके अलावा, आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत ठेकेदारों व सेवा प्रदाताओं के माध्यम से विभिन्न विभागों, बोर्डों व निगम में अनुबंध आधार पर रखे जाने वाले कच्चे कर्मचारियों को भी एक ही छत के नीचे लाने की पहल करते हुए मुख्यमंत्री ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम का गठन करवाया है। इससे अनुबंधित कर्मचारियों को ठेकेदारों के शोषण से भी राहत मिली है। आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत लगभग एक लाख कर्मचारियों को निगम के माध्यम से विभिन्न विभागों में समायोजित किया जा चुका है।