सेम सेक्स मैरिज पर आज यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सातवें दिन सुनवाई होगी। अभी तक इस मामले में छह दिन की सुनवाई हो चुकी है। इससे पहले 27 अप्रैल को सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने वाली 20 याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि वे बताएं कि समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता न दी जाए तो इससे उन्हें क्या-क्या फायदा होगा।
इससे पहले केंद्र का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने पूछा था कि समलैंगिक विवाह में पत्नी कौन होगा, जिसे भरण-पोषण का अधिकार मिलता है। गे या लेस्बियन मैरिज में पत्नी किसे कहेंगे।
इस पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर यह जिक्र सेम सेक्स मैरिज में लागू करने के लिए किया जा रहा है तो इसके मायने हैं कि पति भी रखरखाव का दावा कर सकता है, लेकिन अपोजिट जेंडर वाली शादियों में यह लागू नहीं होगा।
उधर, 27 अप्रैल को ही 120 पूर्व अधिकारियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेटर लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। उन्होंने कहा कि भारत में अगर सेम सेक्स मैरिज पर कानून बन जाता है तो पूरे देश को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह लेटर लिखने वालों में रिटायर्ड जज, पूर्व IAS-IPS हैं।