हरियाणा सरकार के आदेश अनुसार बाल श्रम या बंधुआ मजदूरी का कोई भी मामला किसी जिले में पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने इस विषय में कड़ा रुख अपनाया हुअ है। भारत सरकार ने बंधुआ उन्मूलन मजदूरी प्रणाली अधिनियम 1976 को लागू कर इस पर पूर्णतया रोक लगा दी थी।
बंधुआ मजदूरी प्रणाली को 25 अक्टूबर 1975 से संपूर्ण देश से खत्म कर दिया गया था। इस अधिनियम के जरिए देश के हजारों बंधुआ मजदूर गुलामी की बेड़ी से मुक्त हुए और साथ ही उनके कर्ज की भी समाप्ति हुई।
देश में बाल श्रम गैर कानूनी है। इस समस्या को अगर समय रहते जड़ से मिटाया नहीं गया तो बच्चों का भविष्य धूमिल हो सकता है। उन्होंने कहा कि 14 वर्ष से कम आयु के जो बच्चे होते हैं, उनसे उनका बचपन, खेल-कूद, शिक्षा का अधिकार छीनकर, जबरन उन्हें काम में लगाना गैर कानून है। इसके लिए उन बच्चों के माता-पिता भी उतने ही दोषी है, जितना कि वह दुकानदार, मकान मालिक या ढाबेवाला, जो बच्चों से मेहनत-मजदूरी करवा रहा है।
शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से बच्चों का शोषण करना जुनाईल व लेबर कोर्ट में दंडनीय अपराध है। कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है तो इसकी सूचना श्रम विभाग, खाद्य एवं आपूर्ति या जिला प्रशासन को दें, ताकि संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जासके।