खरीफ सीजन 2020 में सूखे, जलभराव व सफेद मक्खी के प्रकोप के कारण खराब हुई फसलों के उचित बीमा क्लेम, मुआवजे के लिए 113 दिनों से धरनारत किसान 24 अगस्त को सचिवालय का घेराव करेंगे। किसानों को प्रशासन ने बातचीत का प्रस्ताव भेजा था। किसान संगठनों व प्रशासन के अधिकारियों के बीच दो घंटे तक मीटिंग चली। लेकिन उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी की मौजूदगी में हुई यह मीटिंग बेनतीजा रही।
मीटिंग में उपायुक्त ने किसानों को बताया कि उनकी मुआवजे की मांग सरकार को भेजी जा चुकी है और फसलों को जो भी नुकसान हुआ है, उसका आंकलन करने की विस्तृत रिपोर्ट आपदा प्रबंधन विभाग को भेजी जा चुकी है। सरकार ने मुआवजे का पैसा भी मंजूर कर लिया है और जल्द ही मुआवजा मिलना शुरू भी हो जाएगा। इसी बात को लेकर उपायुक्त ने किसानों से अपना धरना खत्म करने की बात कही।
दूसरी तरफ किसानों ने कहा कि सरकार द्वारा फसलों की जो खराब रिपोर्ट तैयार करवाई गई है, उसमें 50 से 75 प्रतिशत तक नुकसान का आंकलन हुआ है, जबकि बीमा कंपनी ने किसानों को सिर्फ 2 से 20 प्रतिशत तक का क्लेम दिया है। बीमा कंपनी ने किसानों के साथ जो फर्जीवाड़ा किया है, उसके लिए कंपनी के खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए। वहीं किसानों की जो फसल खराब हुई है उसका जल्द से जल्द उचित मुआवजा सरकार की तरफ से किसानों को मिलना चाहिए। प्रशासन और किसानों के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण मीटिंग बेनतीजा ही खत्म हो गई।
ये है पूरा विवाद
खरीफ सीजन 2020 में जिले में कई स्थानों पर सूखा तो कहीं पर ज्यादा बारिश के कारण फसलें खराब हो गई थीं। इसके अलावा सफेद मक्खी के कारण कपास व मूंग की फसल चौपट हो गई थी। खराब हुई फसलों के मुआवजे के लिए किसानों ने 50 दिनों तक धरना देकर स्पेशल गिरदावरी करवाई थी। सरकार द्वारा की गई स्पेशल गिरदावरी में सामने आया कि किसानों को 50 से 75 फीसदी तक का नुकसान हुआ है, जबकि बीमा कंपनी ने सिर्फ 2 से 20 प्रतिशत नुकसान का क्लेम दिया है। बीते एक साल से यह विवाद चल रहा है और 113 दिनों से किसान सचिवालय के गेट के आगे धरना लगाए हुए हैं।