November 22, 2024

हरियाणा के अंबाला कैंट में 22 एकड़ भूमि पर लगभग 300 एकड़ लागत से बनने जा रहे आजादी की पहली लड़ाई का भव्य शहीद स्मारक के शीघ्र संचालन हेतु आज मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल ने इतिहासकारों की समिति के साथ बैठक की। इस मौके पर डॉ अमित अग्रवाल ने कहा कि इस भव्य स्मारक का उद्घाटन दिसंबर माह के दूसरे या तीसरे सप्ताह में किया जाएगा।

इस स्मारक में प्रदर्शित किए जाने वाले एतिहासिक तथ्यों के सत्यापन व पुष्टि के लिए विशेष तौर पर इतिहासकारों की समिति गठित की गई है, ताकि लोग उस समय की पल-पल की सही जानकारी से अवगत हो सकें। आज की बैठक में स्मारक में 1857 के इतिहास को किस प्रकार प्रदर्शित किया जाएगा, उसके संबंध में विस्तार से विचार-मंथन किया गया।
बैठक में इतिहासकारों की समिति के सभी सदस्य, जिनमें भारतीय इतिहास परिषद अनुसंधान के अध्यक्ष डॉ राघवेन्द्र तंवर, प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर कपिल कुमार, राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, दिल्ली की निदेशक व उप कुलपति प्रोफेसर अनुपा पांडेय, मिलिट्री इतिहास की पुस्तकों के लेखक कर्नल (सेवानिवृत्त) योगेंद्र सिहं, भारतीय राष्ट्रीय संग्रहालय के अभिलेखाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार शर्मा व सनातन धर्म महाविद्यालय इतिहास विभाग, अम्बाला के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ उदयवीर शामिल हैं, मौजूद रहे।

बैठक में आजादी की पहली लड़ाई के शहीद स्मारक के अंदर दर्शकों के आवागमन की योजना को अंतिम रूप दिया गया। 22 एकड़ में बन रहे इस स्मारक को 4 हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें पहला प्रशासनिक भवन, दूसरा हिस्सा संग्रहालय भवन, तीसरा लाइब्रेरी और फूड कॉर्ट तथा चौथा हिस्सा ओपन एयर थियेटर होगा।

संग्रहालय में मिलेगी इतिहास की संपूर्ण जानकारी
संग्रहालय भवन के पहले कक्ष में दर्शकों को 1857 की आजादी की पहली लड़ाई के शुरू होनेे के कारणों की जानकारी मिलेगी। दूसरे कक्ष में 10 मई, 1857 को मेरठ से 9 घंटे पहले हरियाणा के अंबाला में किस प्रकार आजादी की पहली लड़ाई की शुरुआत होती है, यह कहानी देखने को मिलेगी। तीसरे कक्ष में अंबाला के बाद पूरे हरियाणा में इस लड़ाई की चिंगारी कैसे फैली तथा चौथे कक्ष में पूरे भारत में इस लड़ाई ने कैसे इतना बड़ा रूप हासिल किया, उन सब कथाओं से दर्शक रूबरू होंगे।

लोग अनोखे तरीके से दे सकेंगे शहीदों को श्रद्धांजलि
इसके अलावा, स्मारक में एक श्रद्धांजलि कक्ष भी बनाया गया है, जहां प्रदेश व देश से आने वाले लोग एक अनोखे तरीके से यानी डिजिटल तरीके से शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकेंगे और रात के समय लोगों द्वारा दी गई श्रद्धांजलि की बदौलत एक रोशनी आसमान में निकलेगी, जिसको पूरे अंबाला और आस-पास के जिलावासी देख सकेंगे।

अम्बाला से शुरू हुई थी आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी
पहले यह माना जाता था कि 1857 की क्रांति मेरठ से शुरू हुई थी लेकिन तथ्यों और इतिहासकारों के द्वारा यह बताया गया कि मेरठ से 10 घंटे पहले स्वतंत्रता संग्राम की पहली चिंगारी अम्बाला छावनी में उठी थी जोकि धीरे-धीरे हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों तथा देश के विभिन्न हिस्सों तक फैल गई।

आजादी की पहली लड़ाई के लिए लोगों तक संदेश पहुंचाने के लिए उस समय गुप्त कोड जैसे कमल का फूल, रोटी और पेड़ों की छाल का उपयोग किया जाता था। उसी समय को लोगों के दिलों में जगाने के लिए इस स्मारक के प्रांगण में कमल के फूल के रूप में 65 मीटर ऊंचा मेमोरियल टॉवर भी बनाया गया है। इस टॉवर में आने के तीन रास्ते होंगे, जिनमें एक सीढ़ी, लिफ्ट और एक रैंप होगा। रैंप के चारों तरफ 1857 की पहली लड़ाई के इतिहास को उकेरा जाएगा।

यह स्मारक विशेष तौर पर 1857 की क्रांति और शहीदों की याद में बनाया जा रहा है जिससे आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा मिलेगी और उन्हें अपने क्रांतिकारी वीर शहीदों के जीवन के बारे में जानकारी मिल पायेगी।
इस अवसर पर स्मारक में आट्र्सवर्क के प्रदर्शन के लिए चयनित फर्म के प्रतिनिधियों के साथ – साथ अंबाला के उपायुक्त श्री विक्रम सहित लोक निर्माण (भवन एवं सडक़ें) विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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