November 5, 2025
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गांव सोंटा (जिला अंबाला) के किसान राम तिलक पुत्र श्री जोगिंद्र सिंह ने अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि खेतों में बची पराली कोई समस्या नहीं, बल्कि सही तरीके से प्रबंधन करने पर यह किसानों के लिए आय का एक नया साधन बन सकती है। श्री राम तिलक वर्ष 2020 से सरकार की फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं। इस योजना के तहत उन्हें स्ट्रॉ बेलर मशीन अनुदान (सब्सिडी) पर प्राप्त हुई, जिसकी मदद से उन्होंने अपने साथ-साथ आस-पास के किसानों के खेतों में भी पराली का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया है।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष दो स्ट्रॉ बेलर यंत्रो से उन्होंने जिला अंबाला के लगभग 2500 एकड़ खेतों से लगभग 3500 टन पराली प्रबंधन का कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया है, और अभी भी यह कार्य निरंतर जारी है जिस से उन्होने लगभग 55 लाख की पराली बेचते हुए करीब 15 लाख की बचत हुई है तथा लगभग 60 श्रमिकों को दो महीने तक रोजगार भी उपलब्ध करवाया है। उनके द्वारा किए गए किसानों के खेतों में प्रबंधन के कारण उन सभी किसानों को कृषि विभाग 1200 रुपये प्रति एकड़ की दर से कुल 30 लाख प्रोत्साहन राशि भी देने का कार्य करेगा। उन्होने बताया की वह स्ट्रॉ बेलर मशीन की मदद से खेतों में बची पराली को इक_ा कर बंडल के रूप में तैयार किया जाता है, जिसे बाद में बायो-सीएनजी संयंत्रों, पेपर मिलों और खाद बनाने वाले उद्योगों को बेचा जाता है। इस प्रक्रिया से न केवल पर्यावरण को होने वाले प्रदूषण से बचाव होता है, बल्कि किसानों को आर्थिक लाभ भी मिलता है।
श्री राम तिलक ने बताया कि पहले पराली को जलाना मजबूरी समझी जाती थी, लेकिन अब यह सोच बदलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दी गई योजनाओं और आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करके किसान न केवल प्रदूषण को रोक सकते हैं बल्कि अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। उनके इस कदम से गाँव के कई अन्य किसान भी प्रेरित हुए हैं और अब वे भी पराली जलाने के बजाय उसका सही प्रबंधन करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
कृषि विभाग के डीडीए जसविंद्र सिंह सैनी ने बताया कि गाँव सोंटा के किसान श्री राम तिलक जिले में पराली प्रबंधन का उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं और उन्होंने अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है। श्री जसविंद्र सिंह सैनी ने कहा कि यदि हर किसान थोड़ी-सी पहल करे, तो न केवल जिला अंबाला, बल्कि पूरा हरियाणा राज्य पराली मुक्त और स्वच्छ बन सकता है।
उन्होंने जिले के सभी किसानों से आग्रह किया कि वे फसल अवशेष प्रबंधन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएं, सरकारी अनुदान पर उपलब्ध आधुनिक मशीनों का उपयोग करें और पराली को एक मूल्यवान संसाधन के रूप में अपनाएँ। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से जहाँ पर्यावरण को नुकसान होता है, वहीं उसका सही प्रबंधन किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन सकता है। उन्होने ने यह भी आशा व्यक्त की आने वाले समय में अधिक किसान इस दिशा में जागरूक होकर पराली प्रबंधन को अपनाएँगे और जिला अंबाला को एक स्वच्छ, हरित और प्रदूषण-मुक्त कृषि क्षेत्र बनाने में सहयोग देंगे।
उनका यह प्रयास न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय है, बल्कि यह दर्शाता है कि आधुनिक कृषि तकनीकों के माध्यम से किसान अपनी आर्थिक स्थिति को सशक्त बना सकते हैं जैसे की श्री राम तिलक आज हरियाणा की खेती को नई दिशा दे रहे हैं – जहां पराली अब प्रदूषण नहीं, किसानों की प्रगति और आय का साधन बन चुकी है।

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