November 22, 2024

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने प्रेसवार्ता कर बिजली के मुद्दे पर हरियाणा सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम खट्टर को केंद्र में ऊर्जा मंत्री बनाया गया है। पिछले साढ़े नौ साल तो उन्होंने हरियाणा में कुछ नहीं किया।

पिछ्ले 10 साल में बीजेपी ने हरियाणा में बिजली के मुद्दे पर कोई काम नहीं किया। हरियाणा में हर साल मार्च से लेकर अक्टूबर तक बिजली की जबरदस्त किल्लत रहती है। न गांव में बिजली है न शहरों में और खेतों का हाल तो सबको पता है।

आज के दिन पूरे प्रदेश में बिजली की अघोषित कटौती की जा रही है। इस वक्त 1500 मेगावाट की कमी चल रही है, जो आने वाले समय में बढ़कर 2000 मेगावाट हो सकती है। लेकिन इसके लिए बीजेपी की प्रदेश सरकार ने कोई तैयारी नहीं की थी।

उन्होंने कहा कि आज शहरों और कस्बों में 8 से 12 घंटे पॉवर कट लग रहे हैं, पॉवर बैकअप पर सोसायटी चल रही हैं। गांव में जहां सरकार दावा करती थी कि जगमग योजना ले आए और हरियाणा के सभी गांव को जगमग कर दिया उन गांवों में आज के दिन 15 से 17 घंटे कट लग रहे हैं। हरियाणा में ये स्थिति बिजली की उपलब्धता की है।

उन्होंने कहा उद्योगों को सलाह दी जा रही है कि रात में काम करें। ऐसे में हरियाणा कैसे तरक्की करेगा, जबकि आज के दिन में पॉवर बुनियादी जरूरत है। यदि बीजेपी 10 साल सत्ता में रहने के बावजूद बुनियादी जरूरत भी पूरी नहीं कर पा रही है तो फिर हरियाणा की तरक्की के सभी दावे बेईमानी है।

2015 में जब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर होते थे, उस वक्त झाड़ली एनटीपीसी प्लांट से हरियाणा में सेंट्रल पुल को लगभग 750 मेगावाट सरेंडर कर दिया था। वो भी हरियाणा के लोगों के हितों के खिलाफ लिया गया फैसला था। जिसका उस समय विरोध हुआ था।

उन्होंने कहा मैं मनोहर लाल खट्टर से पूछना चाहता हूं कि आज वो केंद्रीय ऊर्जा मंत्री हैं क्या वो हरियाणा का वो उधार उतरेंगे जो 2015 में 750 मेगावाट पुल में सरेंडर किया था।

आज जब हरियाणा को जरूरत है तो क्या 750 मेगावाट केंद्रीय पुल से दिलाएंगे और जो 2015 में हरियाणा के लोगों के साथ विश्वासघात किया था क्या उस गलती को सुधारने का प्रयास ऊर्जा मंत्री के तौर पर करेंगे।

उन्होंने कहा कि जब मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के मुख्यमंत्री थे तब अडानी ग्रुप के साथ एक समझौता किया था जिसमें मुंद्रा से हरियाणा को 1400 मेगावाट बिजली प्राप्त होनी थी। वो 25 साल के लॉन्ग टर्म एग्रीमेंट के तहत बिजली ली गई थी, जिसका रेट 2.92 रुपए रेट तय हुआ था।

लेकिन मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा के लोगों का विश्वास तोड़ते हुए मिड टर्म में अनुबंध की शर्तों को बदला और 3.20 रुपए प्रति यूनिट रेट कर दिया। जबकि 25 साल का लॉन्ग टर्म एग्रीमेंट था। नए समझौते में न केवल बिजली का रेट बढ़ा दिया गया बल्कि 1400 मेगावाट बिजली को घटाकर हरियाणा सरकार ने 1096 मेगावाट बिजली की आपूर्ति के लिए एग्री कर लिया।

जब 2023 में धान का सीजन था, तब 1096 मेगावाट में से 500 मेगावाट बिजली ही पहुंच पाई थी। यानी हरियाणा सरकार की तरफ से अडानी ग्रुप पर बहुत मेहरबानियां की गई। मैं मनोहर लाल खट्टर से पूछना चाहता हूं कि आज वो केंद्रीय ऊर्जा मंत्री हैं क्या ये मेहरबानियां जारी रहेंगी या हरियाणा की जनता की सुध लेंगे।

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