हरियाणा के करनाल जिले में मधुबन के रहने वाले राहुल ने लीबिया से लौटकर वहां सहे अत्याचारों की कहानी सुनाई तो परिजनों की आंखें भर आईं।
राहुल 180 दिन के बाद किसी तरह जान बचाकर घर लौटा है। डोंकी के रास्ते विदेश में एंट्री के लिए जिंदगी की खुशियां दांव पर लगा चुका राहुल अपने शरीर पर घाव लेकर संभलने का प्रयास कर रहा है।
राहुल ने बताया कि मुझे नहीं पता था कि मैं जिंदा रहूंगा या नहीं, रात को अंधेरा होते ही लोहे की रॉड से पीटा जाता। मेरे टैटू को देख मुझे और ज्यादा यातनाएं दी गईं।
अपने साथ लीबिया में बीते 180 दिन के मंजर को याद करके आज भी रूह कांप जाती है। न पीने को पानी और न ही खाने के लिए रोटी मिली, मिला तो केवल लात-घूंसे और लोहे की रॉड के निशान।
एक बार ऐसा लगा कि यातनाओं के दर्द से छुटकारा पाने के लिए भगवान शरीर से प्राण निकाल ले, शायद ईश्वर को यह मंजूर नहीं था।
ऐसा दर्द मेरे अकेले का नहीं, बल्कि जेल में मेरे साथ रहे 12 उन भारतीयों को भी है, जो अलग-अलग हिस्सों से विदेश में रोजगार की चाह लेकर एजेंटों के शिकंजे में फंसे थे। दुआ करता हूं उन्हें भी उन यातनाओं से निजात मिल जाए।