दलाई लामा को तिब्बत का सबसे बड़ा धर्मगुरु कहा जाता है। चीन से तनाव के बीच दलाई लामा पिछले 64 साल से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे हैं।
चीन लगातार उन्हें अलगाववादी और तिब्बत के लिए खतरा बताता रहा है। हालांकि, दलाई लामा को अलग-अलग मौकों पर वर्ल्ड लीडर्स का सपोर्ट मिला है।
2010 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चीन के विरोध के बावजूद दलाई लामा से मुलाकात की थी। उन्हें 1989 में नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित किया गया था।
द गार्जियन के मुताबिक, मौजूदा दलाई लामा ने कुछ साल पहले संकेत दिए थे कि अब वो पुनर्जन्म नहीं लेंगे।
उन्होंने ये भी कहा था कि अगर उनका दोबारा जन्म हुआ तो ये चीन और तिब्बत के बाहर होगा, ताकि चीन इसमें दखलंदाजी न कर सके।
दरअसल, दलाई लामा से जारी विवाद के बीच 2011 में चीन के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की थी कि वो सिर्फ उसी दलाई लामा को मान्यता देंगे जिसे चीन की सरकार अप्रूव करेगी।
चीन तिब्बती बौद्ध धर्म की परंपरा में अपने लोगों की नियुक्ति करना चाहता है, जिससे तिब्बत में किसी विद्रोह की आशंका न रहे।