चंडीगढ़/समृद्धि पराशर: पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित की अध्यक्षता में आज पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के विभिन्न विषयों को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ बैठक हुई। बैठक में हरियाणा के कॉलेजों की पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से संबद्धता के विषय पर विस्तार से चर्चा हुई। इससे संबंधित अगले दौर की बैठक 3 जुलाई सुबह 11 बजे होगी।
बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि भारत की संस्कृति शिक्षा का प्रचार प्रसार करने की रही है। तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में विश्व भर से लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे। इसलिए बच्चों को शिक्षा के अवसर देना एक सकारात्मक सोच है। इसलिए पंजाब विश्वविद्यालय से हरियाणा के कॉलेजों को संबद्धता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा के 3 जिलों पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर के कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्धता के विकल्प देना चाहिए।
हरियाणा के जिलों के साथ ही पंजाब के मोहाली और रोपड़ के कॉलेजों को भी पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्धता दी जानी चाहिए – मनोहर लाल
बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि छात्रों के हितों के लिए राज्य के कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्धता का विकल्प दिया जाना चाहिए। दोनों राज्य मैत्रीपूर्ण तरीके से आगे बढ़ेंगे।
मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा के 3 जिलों पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर के कॉलेजों के साथ-साथ पंजाब के मोहाली और रोपड़ जिले के कॉलेजों को भी पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से संबद्धता दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी अपना कैंपस हरियाणा में बना रहे हैं। इसके अलावा, आईआईटी, दिल्ली का कैंपस भी हरियाणा में बन रहा है। शिक्षा का विस्तार करने से बच्चों को कई अवसर मिलेंगे। कॉलेज के एफिलिएशन से हरियाणा के छात्रों को नए अवसर मिलेंगे।
हरियाणा के युवाओं और शिक्षा के प्रसार के खिलाफ अड़ा पंजाब
बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान हरियाणा के युवाओं और शिक्षा के प्रसार के खिलाफ अड़े रहे। उन्होंने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से हरियाणा के कॉलेजों की संबद्धता के विषय पर पंजाब असमर्थ है।
पंजाब के 40 फीसदी हिस्से के मुकाबले में 7-14 फीसदी ही मिल पाता है बजट
बैठक में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में बजट से संबंधित जानकारी देते हुए बताया गया कि पंजाब विश्वविद्यालय वर्षों से वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। विश्वविद्यालय में 60 प्रतिशत हिस्सा चंडीगढ़ और 40 प्रतिशत हिस्सा पंजाब का है। पिछले 10 सालों में केंद्र की तरफ से विश्वविद्यालय को 200-300 करोड़ रुपये औसतन प्रति वर्ष मिले हैं। जबकि पिछले 10 सालों में पंजाब से केवल 20-21 करोड़ रुपये औसतन प्रति वर्ष मिले हैं। वर्ष 2020-21 में पंजाब की ओर से 39 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी। कुल मिलाकर पंजाब के 40 फीसदी हिस्से के मुकाबले में विश्वविद्यालय को 7-14 फीसदी ही बजट मिल पाता है।
बैठक में पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस, हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल, राज्यपाल के सलाहकार धर्म पाल, पंजाब के मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ, चंडीगढ़ के गृह सचिव नितिन यादव, हरियाणा के उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक राजीव रतन, पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो रेनू विग सहित पंजाब और चंडीगढ़ के उच्च अधिकारी भी उपस्थित रहे।