BJP महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव रहीं एल. विक्टोरिया गौरी अब मद्रास हाईकोर्ट की जज बन गई हैं। उन्होंने हंगामे और विरोध के बीच मंगलवार को शपथ ली। उनकी नियुक्ति के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका भी खारिज कर दी गई है।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि एल. विक्टोरिया गौरी को हाईकोर्ट जज बनाए जाने का विरोध क्यों हो रहा है और किसी पार्टी के नेता का जज बनना कितना सही है?
4 साल पहले इस्लाम को हरा आतंक कहा था
नियुक्ति के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट के 22 वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उसमें 3 मुख्य तर्क दिए गए…
1. एल. विक्टोरिया गौरी ने मुस्लिम को हरा आतंक और ईसाई को सफेद आतंक कहा है। इस तरह का बयान संविधान के खिलाफ है।
2. एल. विक्टोरिया गौरी BJP राष्ट्रीय महिला मोर्चा की महासचिव रही हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा होगा।
3. जज की शपथ लेने वाले व्यक्ति की संविधान में पूरी आस्था होनी चाहिए। उनके बयानों और एक्शन से ऐसा नहीं लगता है।
इस याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ‘जिन बयानों का जिक्र किया जा रहा है वो 2018 के हैं। मेरा मानना है कि गौरी के नाम पर फैसला लेने से पहले कॉलेजियम ने निश्चित तौर पर इस विषय पर विचार किया होगा।’