November 21, 2024
hoodascam

प्रवर्तन निदेशालय ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर कर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा को मार्च 2021 को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) मामले में दी गई नियमित जमानत को रद्द करने की मांग की है। यह मामला अभी एचसी बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आना बाकी है।

ईडी की याचिका (पीसी) के अनुसार, मामला पंचकुला, हरियाणा में 14 औद्योगिक भूखंडों के कथित आवंटन से संबंधित है, जो पंचकूला में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन के लिए आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि के बाद पात्रता मानदंड में गलत तरीके से बदलाव करके अवैध रूप से किया जाता है।

ईडी का दावा है कि सक्षम समिति द्वारा साक्षात्कार प्रक्रिया हुडा के मैनुअल ईएमपी-2011 के अनुसार आयोजित नहीं की गई थी ताकि वांछित आवेदकों को अनुचित लाभ प्रदान किया जा सके। यह औद्योगिक भूखंड, यह आरोप लगाया गया है, अपात्र आवेदकों को आवंटित किए गए थे। प्लाटों की दरें भी हूडा द्वारा सर्किल दरों/ प्रचलित बाजार स्थितियों के अनुसार उचित रूप से निर्धारित नहीं की गई थीं।

एडवोकेट अरविंद मौदगिल, वरिष्ठ वकील ईडी ने याचिका में तर्क दिया कि यह देखा जाना चाहिए कि विशेष अदालत, पीएमएलए ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर शिकायत का संज्ञान लिया क्योंकि यह उचित रूप से उत्तरदाताओं को मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दोषी मानता था, जबकि, पीएमएलए, जमानत तभी दी जा सकती है जब अदालत के पास यह मानने का कारण हो कि आरोपी ने अपराध नहीं किया है। पीएमएलए अदालत ने आरोपी व्यक्ति को केवल इस आधार पर जमानत देने में गंभीर त्रुटि की है कि उक्त व्यक्ति जांच में शामिल हुआ था और जांच एजेंसी द्वारा PMLA अधिनियम की धारा 19 को लागू करके गिरफ्तार नहीं किया गया है।

एडवोकेट मौदगिल ने याचिका में आगे कहा कि विशेष अदालत इस बात की सराहना करने में पूरी तरह विफल रही है कि मामले में शामिल अपराध गंभीर और गंभीर प्रकृति के हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *