सरकार ने टीबी को वर्ष 2025 तक समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार के इस अभियान में जनभागीदारी की अपेक्षा करते हुए उन्होने कहा कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य को हासिल करने में पूरे समाज की भागीदारी हो।
टीबी को समाप्त करने के लक्ष्य बारे में पहले ही अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। सभी अधिकारी एक-एक टीबी के मरीज को गोद लें ताकि जिले से टीबी महामारी को समाप्त किया जा सकें।
उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने स्तर पर टीबी की जागरूकता के लिए प्रयास करें। वर्ष 2025 तक टीबी को समाप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक सामाजिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो सभी लिंग और पृष्ठभूमि के लोगों को जन आंदोलन में एक साथ लाए।
उन्होंने सभी से बेहतर पोषण, स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के साथ ही बीमारी से जुड़े सामाजिक कलंक को दूर करने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया और कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश में हर साल 10 लाख से ज्यादा महिलाएं व लड़कियां और 3 लाख से ज्यादा बच्चे टीबी के शिकार हो रहे हैं। गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद भ्रूण व शिशुओं पर प्रतिकूल प्रभाव के साथ ही महिलाओं में इस बीमारी के जोखिम से समस्या बढ़ जाती है।
इस मौके पर सीईओ जिला परिषद नवीन आहूजा, डीडीपीओ शंकर लाल गोयल, आईएमए के अध्यक्ष डॉ. रवि, आयुष अधिकारी डॉ. विनोद पुण्डीर सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कमेटी के सदस्य उपस्थित रहे।
ये लक्षण दिखाई दे तो अवश्य कराएं जांच-
सीएमओ डा. मनजीत सिह ने बताया कि 2 सप्ताह से ज्यादा खांसी, रात के समय में बुखार आना, बलगम में खून आना, वजन का कम होना व रात को सोते समय पसीना आना आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी जांच केंद्र में अपनी टीबी की जांच करवानी चाहिए। टीबी पाए जाने पर मरीज को सरकार द्वारा मुफ्त दवाइयां उपलब्ध करवाइ जाती है।