केएमपी एक्सप्रेसवे के साथ-साथ नया रेल कॉरिडोर बनने जा रहा है। हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर के लिए 17 गांव के किसानों की जमीनों का अधिग्रहण भी किया जा चुका है। आज बहादुरगढ़ के एसडीएम अनिल कुमार यादव ने झज्जर जिले के 17 गांवों के किसानों की जमीनों के मुआवजे की घोषणा की है। 17 गांव के किसानों को करीब 340 करोड रुपए का मुआवजा दीया जाना है। लेकिन किसानों ने इस मुआवजा राशि पर सवाल खड़े किए हैं और किसानों की एक पंचायत मांडोठी गांव में बुलाने की बात कही है।
केएमपी एक्सप्रेसवे के साथ-साथ प्रस्तावित हरियाणा आर्बिटल रेल कॉरिडोर को बनाने की दिशा में सरकार ने एक और कदम बढ़ा दिया है। सरकार ने 17 गांव के किसानों की जमीनों के मुआवजे की घोषणा आज कर दी है। अलग-अलग गांव के हिसाब से 50 लाख से लेकर ढाई करोड रुपए तक प्रति एकड़ के हिसाब से किसानों का मुआवजा तय किया गया है। यह मुआवजा सर्कल रेट का डेढ़ गुना रखा गया है। यानी किसानों को जमीन के सरकारी रेट से 50 प्रतिशत ज्यादा मुआवजा देने की घोषणा की गई है।
हालांकि किसानों ने सरकार द्वारा दी जाने वाली मुआवजा राशि पर सवाल खड़े किए हैं। किसानों का कहना है कि उनकी जमीनें बेशकीमती हैं। जबकि अधिकारियों ने उनकी जमीनों की कीमत कम आंकी है। जमीनों की कीमत बढ़ाने के लिए किसान चंडीगढ़ जाकर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। ऐसे में अब किसानों ने मांडोठी गांव में झज्जर जिले के 17 गांव के किसानों की बैठक बुलाई है और इस बैठक में यह फैसला लिया जाएगा कि किसान मुआवजा लेंगे या फिर नए आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।
एसडीएम अनिल कुमार यादव ने बताया कि इस रेल कॉरिडोर के बनने से लोगों को काफी फायदा होगा इतना ही नहीं किसानों की जमीन रेलवे लाइन और एक्सप्रेसवे के बीच में बस जाएगी उसे करने के लिए भी कमेटी का गठन किया जा चुका है किसी भी किसान का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा