एनीमिया के विरुद्ध युद्ध स्तर पर कार्य करने का आह्वान किया है और साथ ही कहा है कि इस बारे में अधिक से अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। एनीमिया एक तरह की बिमारी है जो रक्त की कमी से पीडि़त व्यक्ति को शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं और हिमोग्लोबिन की कमी से होता है। हिमोग्लोबिन रक्त की कोशिकाओं के लिए ऑक्सीजन आबाध्य करने के लिए आवश्यक होता है। यह शरीर में आयरन की कमी से भी होता है।
खून की कमी के लक्षण के बारे में उपायुक्त ने कहा कि यह सभी वर्ग के बच्चों एवं गर्भवत्ती महिलाओं में अधिक पाया जाता है, जिनको एनीमिया होने पर शारीरिक कमजोरी, थकान, सिर दर्द, चक्कर आना, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन का बढऩा, नाखुन और जीभ का सफेद होना आदि लक्षण दिखाई देते है। हिमोग्लोबिन की जांच भी करवानी चाहिए।
उन्होंंनेे कहा कि एनीमिया को दूर करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, सरसों, मैथी, बथुआ और गाजर चुकंदर आदि का सेवन करना चाहिए। इनके साथ भोजन में विटामिन-सी एवं ए युक्त खाद्य पदार्थ जैसे नींबू, मौसमी, आवंला और संतरा आदि का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा घर में लोहे से बने बर्तन जैसे कढ़ाई का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेषत: लोहे की बनी कढ़ाई में हरी पत्तेदार सब्जी बनानी चाहिए। पत्तेदार, हरी सब्जी को पहले धोना चाहिए।
उसके उपरांत काटना चाहिए। खाना खाने के बाद गुड़ या गुड़ से बनी चीजें जैसे टिक्ड़ी या तिल से बनी गुड़ की पट्टी अवश्य खानी चाहिए। आयरन की कमी होने पर बच्चों को आयरन की गोलीयां खिलाई जा सकती है। आयरनयुक्त आहार व गोलियां खाने वाले को दूध का प्रयोग कम से कम दो घण्टे पहले या दो घण्टे बाद में करना चाहिए।