हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार को 27 अक्टूबर को आठ साल पूरे होने जा रहे हैं। सबका साथ-सबका विकास और हरियाणा एक-हरियाणवी एक के सिद्धांत को अपनाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन आठ सालों में यूं तो सैकड़ों फैसले लिए, लेकिन इस डबल इंजन की सरकार के आठ प्रमुख फैसले ऐसे हैं, जो प्रदेश की जनता तथा भाजपा शासित राज्य सरकारों के लिए नजीर बन गए हैं।
खबरों के अनुसार हरियाणा को डबल इंजन सरकार (केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार) का फायदा मिला है। पिछले आठ सालों में सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि अगर कोई है तो वह सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता और मैरिट के आधार पर युवाओं का चयन है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर सीआइडी और विजिलेंस हरियाणा में बरसों से जमे बैठे उस नौकरी माफिया को बेनकाब करने में भी कामयाब रही है, जिसने सरकारी नौकरियां बेचने में महारथ हासिल कर रखी थी। हवन में आहुति डालते समय हाथ जलते ही हैं, ठीक इसी तर्ज पर जब मनोहर सरकार ने नौकरी माफिया पर हाथ डाला तो विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार में ही माफिया पनपने के आरोप लगाने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दिया, लेकिन सच्चाई यह है कि यदि नौकरी माफिया पर नकेल नहीं डाला जाता तो आज मेरिट में आने वाले युवाओं को नौकरियां मिलने की बजाय पर्ची-खर्ची के सिस्टम में यकीन रखने वाले ही नौकरियां पाते।
भाजपा सरकार ने अपने आठ साल के कार्यकाल में 98 हजार सरकारी नौकरियां दी हैं, जो किसी भी मुख्यमंत्री के कार्यकाल में सबसे अधिक हैं। नेशनल एजुकेशन पालिसी को अपने राज्य में दो साल पहले यानी 2023 में लागू करने का लक्ष्य लेकर चल रही मनोहर सरकार ने नौवीं से 12वीं क्लास के बच्चों को पांच लाख लेपटाप दिए हैं। राज्य सरकार की आनलाइन शिक्षक तबादला नीति का पूरे देश में डंका है।