पलवल जिले के किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर दिया है। जिला बागवानी अधिकारी डा.अब्दुल रज्जाक ने बताया कि बागवानी विभाग द्वारा पलवल जिले में ड्रैगन फू्रट की खेती करने के लिए चार एकड़ का लक्ष्य रखा गया है। विभाग द्वारा किसानों को प्रति एकड़ 1 लाख 20 हजार रूपए की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि ड्रैगन फू्रट की खेती करें और अपनी आय को दोगुणा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी व प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल के सपने को साकार करें।
जिला बागवानी अधिकारी डा.अब्दुल रज्जाक ने बताया कि भारत में इसके खेती बहुत ही कम समय में लोकप्रियता हासिल कर चुकी है। जैसा कि ड्रैगन फ्रूट के नाम से पता चल रहा है कि यह विदेशी फल है। यह फल रसीला और औषधीय गुणों से भरपूर है। उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट किसानों को ज्यादा मुनाफा देने वाली नकदी फसल है। भारत के कई राज्यों के प्रगतिशील किसान ड्रैगन फू्रट की खेती करना शुरू कर चुके हैं। पलवल जिले के किसानों ने भी ड्रैगन फू्रट की खेती करना शुरू कर दिया है।
इस फल की मांग और भाव के कारण जिले के किसान भी इसे व्यवसाय के रूप मे अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे है। ड्रैगन फू्रट के पौधे बीज और पौध दोनों प्रकार से इसकी खेती की जाती है। इसके पौधों को पौध(कलम) के से लगाना बेहतर होता है। कलम के रूप में लगाने पर पौधा 2 साल बाद पैदावार देना शुरू कर देता है। जबकि बीज से लगाने यह समय 4-5 साल लग जाते हैं। जब भी कलम या बीज खरीदें, भारत सरकार द्वारा प्रमाणित या विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें। बागवानी अधिकारी डा.अब्दुल रज्जाक ने बताया कि इस ड्रैगन की फसल में केवल एक बार पूंजी लगाने की आवश्यकता होती है। पारंपरिक खेती के मुकाबले इससे 25 वर्षों तक आमदनी ले सकते हैं। लागत की बात करें तो इसके पौधे कैक्टस की तरह होता है।
इसके फलन के लिए पौधों को सहारे की जरुरत पड़ती है। इसके स्ट्रेक्चर को खड़़ा करने के लिए प्रति एकड़ ढ़ाई से तीन लाख रुपए खर्च होते हैं। एक एकड़ में 500 पिलर लगाए जाते है जिनकी हाईट 8 फुट होती है जाकि दो फुट जमीन के अंदर और 6 फिट जमीन के बाहर होती है। एक पिलर पर चार प्लांट लगाए जाते है। उन्होनेंं बताया कि 10 फीट की दूरी पर खंभा खड़ा कर उसके सहारे पौध लगाए जाते हैं। प्रति एकड़ करीब दो हजार पौधे की आवश्यकता होती है। एक बार मोटी रकम खर्च के बाद उसी स्ट्रेक्चर पर यह 25 वर्षो तक उपज देता है।